शिमला। निशांत कुमार शर्मा सुरक्षा मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने डीजीपी संजय कुंडू और एसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री को अपने वर्तमान पदों से हटाने के आदेश गृह सचिव को दिये हैं। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने पुलिस के इन दोनों आलाधिकारियों को ऐसे पदों पर तैनात करने के आदेश दिए जहां से इन दोनों को मामले में दर्ज प्राथमिकियों की जांच को प्रभावित करने का कोई अवसर न मिले। हाईकोर्ट ने गृह सचिव पर भी तलब टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मामले में यह पता नहीं क्यों गृह सचिव ने अपनी आंखे मूंद ली। कोर्ट ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच और न्याय न केवल होना चाहिए अपितु दिखना भी चाहिए के सिद्धांत को देखते हुए उक्त अधिकारियों का मौजूदा पदों पर रहना वाजिब नहीं होगा।
बता दें, पालमपुर के कारोबारी निशांत कुमार शर्मा अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस की सुरक्षा मांग रहे थे, लेकिन उनकी स्थानीय पुलिस में सुनवाई नहीं हो रही थी। वे स्थानीय पुलिस के पास जब चक्कर काटने लगे तो पुलिस के बड़े अफसरों के दबाव में स्थानीय पालमपुर थाने ने मुकदमा लिखने से इंकार कर दिया। बेहद परेशान निशांत कुमार शर्मा ने 28 अक्टूबर 2023 को हाईकोर्ट को ईमेल के माध्यम से अपने और अपने परिवार की जान को खतरे की बात लिखी है। प्रार्थी ने लिखा है कि वह चिंतित और भयभीत है कि उन्हें या तो पुलिस प्रमुख संजय कुंडू द्वारा मार दिया जाएगा या गंभीर रूप से डराया धमकाया जाएगा। कारोबारी ने लिखा है कि गुरुग्राम में भी उस पर हमला हो चुका है, जिसमें वह बच गया। इस वारदात की रिपोर्ट को वापिस लेने के लिए उस पर दो बाइक सवार व्यक्तियों ने भागसूनाग और मैक्लोडगंज के बीच वाले रास्ते में रोक कर धमकाया। ई-मेल के मुताबिक डीजीपी कार्यालय से उसे एक ही दिन में 14 फोन आए।
उसे डीएसपी व एसएचओ पालमपुर ने भी फोन किए। एसएचओ पालमपुर ने व्हाट्सएप मैसेज कर बताया कि डीजीपी उससे बात करना चाहते हैं इसलिए उसे डीजीपी कार्यालय में वापिस कॉल कर लेनी चाहिए। कॉल बैक करने पर डीजीपी ने कहा कि निशांत तुम शिमला आओ और उनसे मिलो। इस पर जब उसने कहा कि वह क्यों उनसे मिले तो डीजीपी ने कहा कि उसे शिमला आना होगा और उनसे मिलना होगा। ईमेल के माध्यम से निशांत ने हिमाचल के ही दो रसूखदार लोगों पर उससे जबरन वसूली का दबाव बनाने की बात कही है।
मुख्य न्यायाधीश ने ईमेल पर संज्ञान लेते हुए प्रशासनिक आदेशों से इसे अपराधिक रिट याचिका पंजीकृत करने के आदेश दिए थे। इसके बाद प्रार्थी के आरोपों की प्राथमिकी कांगड़ा जिला में दर्ज की गई थी। हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित कर एसपी शिमला और एसपी कांगड़ा को प्रार्थी को उचित सुरक्षा मुहैया करवाने के आदेश दिए थे।
एसपी कांगड़ा पर गाज
पिछली सुनवाई के दौरान एसपी कांगड़ा की ओर से बताया गया था कि प्रार्थी की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी में लगाए आरोपों की जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कांगड़ा को सौंपी जा चुकी है। मामले में एसपी शिमला ने इस मामले में ऊंचे लोगों की संलिप्तता का अंदेशा जताया था। एसपी शिमला की जांच में प्रथम दृष्टया पाया गया कि डीजीपी उक्त कारोबारी द्वारा बताए गए एक रसूखदार व्यक्ति के संपर्क में रहे। जांच में पाया गया कि डीजीपी ने 27 अक्टूबर को निशांत को 15 मिस्ड कॉल की। जांच में यह भी सामने आया कि डीजीपी ने कारोबारी पर निगरानी रखी। जबकि एसपी कांगड़ा द्वारा मामले में देरी से प्राथमिकी दर्ज करने का कोई कारण नहीं बताया गया। एसपी कांगड़ा कोर्ट को यह भी नहीं बता पाए कि इस मामले में एसपी शिमला द्वारा की गई जांच में सामने आए तथ्यों का उपयोग कांगड़ा में दर्ज प्राथमिकी की जांच में उपयोग में क्यों नहीं लाए गए। कोर्ट ने कहा कि इन तथ्यों के मद्देनजर मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने हेतु उन्हें यह मामला अपने हाथों में लेने पर मजबूर होना पड़ा।