
शिमला। हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार सोमवार को एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर बोले कि विधानसभा चुनाव में जनता को दी हर गारंटी पूरी होगी, यह मेरी गारंटी है। प्रदेश सरकार ने अभी 10 में से तीन गारंटियों को भी पूरा कर दिया है।
सीएम सुक्खू ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) देने का मामला हो या फिर 680 करोड़ रुपये की स्टार्टअप योजना और सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी में पढ़ाई शुरू करने की बात हो, सरकार ने उसे पूरा किया है। जब कांग्रेस सत्ता में आई तो राज्य की वित्तीय स्थिति न केवल दयनीय थी, बल्कि ओवरड्राफ्ट की स्थिति में पहुंच चुकी थी। दावा किया कि एक वर्ष के कार्यकाल में विषम परिस्थितियों में काम करते हुए प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 20 प्रतिशत पटरी पर ला दिया है। एक वर्ष के दौरान सरकार के दामन पर किसी तरह का भ्रष्टाचार का दाग नहीं लगा।
सीएम सुक्खू ने कहा कि उनके पहले साल में हिमाचल ने सदी की सबसे बड़ी आपदा देखी। इस दौरान प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सैकड़ों लोगों को जान गंवानी पड़ी तो हजारों बेघर हुए। कई बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात के बाद भी राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं हुई। प्रदेश भाजपा भी विकास में रोड़े अटकाने का काम करती रही। वहीं राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से 4500 करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया। हमने 16 हजार घरों को राहत पहुंचाने का काम किया है। विश्व बैंक व नीति आयोग भी इसकी सराहना की चुके हैं। सुक्खू कहते हैं कि हमने पांच वर्ष का रोडमैप बजट में रखा है। उस दिशा में काम कर रहे हैं।

सुक्खू ने कहा कि पर्यटन और ऊर्जा दो ऐसे क्षेत्र हैं, जहां से सबसे ज्यादा आय आ सकती है। पूर्व की सरकारों ने इन दोनों की क्षेत्रों की ओर ध्यान नहीं दिया। ऐसा कहा जा सकता है कि इन दोनों क्षेत्रों में लूट मची हुई थी। लेकिन, सरकार इन दोनों क्षेत्रों के लिए स्पष्ट नीति लेकर आई है। सुक्खू ने विपक्षी दल भाजपा को खुली चुनौती दी कि वह साबित करे कि भ्रष्टाचार कहां पर हुआ है। जयराम सरकार के पांच वर्ष में भ्रष्टाचार के नए आयाम स्थापित हुए। उस समय सरकार आंखें मूंद कर बैठी रही। पेपर लीक होते रहे और उस समय सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। कोरोनाकाल में प्रतिदिन भ्रष्टाचार के मामले सामने आते गए। क्रिप्टो करेंसी धोखाधड़ी भी भाजपा के कार्यकाल में शुरू हुई। उस समय की भाजपा सरकार को उसकी भनक तक नहीं लगी। हमने कर्मचारी चयन आयोग को भंग कर नई व्यवस्था कायम की और क्रिप्टो करेंसी की जांच के लिए एसआइटी गठित की। पूर्व सरकार के समय हुए घोटालों की जांच करके रिकार्ड मामले दर्ज किए।
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