देहरादून: प्रदेश में बढ़ते वीआइपी और वीवीआइपी कल्चर से अधिकारी परेशान हैं। सोमवार को दून मेडिकल कालेज अस्पताल यानी दून अस्पताल के कार्डियोलाजिस्ट डा. अमर उपाध्याय ने वीआइपी और वीवीआइपी ड्यूटी से इस कदर परेशान हो गए कि इस्तीफा दे दिया। लंबे अरसे बाद मेडिकल कालेज को कार्डियोलाजिस्ट मिला, लेकिन वह भी वीआईपी ड्यूटी से जब बेहद परेशान होकर इस्तीफा पेश कर दिया तो विभाग के हाथ पांव फूले। हालांकि, मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने बाद में उनसे वार्ता कर उन्हें मना लिया, जिसके बाद वह वापस ड्यूटी पर लौट आए हैं।
वीआइपी-वीवीआइपी ड्यूटी के लिए कोई भी डाक्टर आम मरीज के जीवन से खिलवाड़ नहीं कर सकता और यह सही भी नहीं है। यह भी बताया कि जहां उनकी ड्यूटी लग रही है, वहां रहकर भी कोई फायदा नहीं है। वहां इतने संसाधन ही नहीं हैं कि वह कुछ कर सकें। इस संबंध में प्राचार्य ने बताया कि कार्डियोलाजिस्ट ने इस्तीफा दिया है, लेकिन उन्हें समझा दिया गया है कि शासन स्तर पर इस संबंध में बात की जाएगी। मरीजों को परेशान नहीं होने दिया जाएगा।
राज्य में 14 से 16 जुलाई को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के स्वास्थ्य चिंतन शिविर में भी दून मेडिकल कालेज से बड़ी संख्या में चिकित्सकों की ड्यूटी लगा दी गई है। इससे चिकित्सकों में नाराजगी है। उनका कहना है कि इससे ओपीडी के साथ आइपीडी, ओटी और छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी। गौरतलब है कि बीत वर्ष दून अस्पताल में गत वर्ष एक महिला चिकित्सक को भी वीआइपी कल्चर से आजिज आकर नौकरी छोड़नी पड़ी थी। उन्हें ओपीडी बीच में छोड़कर एक आइएएस अधिकारी की पत्नी के चेकअप के लिए उनके घर जाना पड़ा था।
वहां उनका किसी बात पर आइएएस अधिकारी की पत्नी से विवाद हो गया। जिसके बाद चिकित्सक का स्थानांतरण कर दिया गया। हालांकि, मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप पर स्थानांतरण रुक गया, मगर बाद में चिकित्सक ने इस्तीफा दे दिया। यह प्रकरण काफी चर्चा में रहा था।
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