देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने आरएमएस कंपनी से सभी परीक्षाओं के कामकाज छीने लिये हैं। निदेशक को आयोग ने तलब किया है।
पिछले साल चार व पांच दिसंबर को हुई स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को पेपर लीक होने से संबंधित जानकारी एक टॉयलेट पेपर की तस्वीरों से मिली थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के बाद मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था।एसटीएफ ने मामले की जांच शुरू कर दी। अब तक 18 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इसमें कंपनी के भी दो कर्मचारी शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, अब एसटीएफ ने पेपर प्रिंट करवाने वाली कंपनी आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशंस पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। कंपनी के निदेशक सहित कई अधिकारियों से पहले लखनऊ में पूछताछ की गई थी। अब एसटीएफ ने सभी को पूछताछ के लिए देहरादून बुलाया है।
पेपर लीक मामले के मास्टरमाइंड जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह रावत से पूछताछ में एसटीएफ को महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। उत्तरप्रदेश के कई लोगों से उसके तार जुड़े हैं।उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा के पेपर लीक मामले में जांच की आंच उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक पहुंच सकती है। मास्टरमाइंड से पूछताछ में एसटीएफ के हाथ कई अहम जानकारियां लगी हैं। बताया जा रहा है कि यह लोग काफी हाईप्रोफाइल हैं। इनके तार सीधे कंपनी से जुड़े होने के संकेत मिले हैं। चूंकि, आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन कंपनी के पास उत्तराखंड के अलावा यूपी और मध्यप्रदेश में भी परीक्षाएं आयोजित कराने का ठेका है। लिहाजा वहां की विभिन्न परीक्षाओं में भी धांधली की आशंका है।
एसटीएफ को इसके शुरुआती संकेत भी मिले हैं। एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि इस पर एसटीएफ ने काम शुरू कर दिया है। पूरी उम्मीद है कि उत्तराखंड में पेपर लीक की कड़ी अन्य प्रदेशों से जुड़ी हो सकती है।