इतिहास के पन्नों में अक्सर ब्रिटैन के डाकू ‘रॉबिन हुड’ का जिक्र किया गया है जो की अपने साथियों के साथ ब्रिटेन के काउंटी नॉटिंघम शहर में शेरवुड के जंगल में रहा करते थे ‘रॉबिन हुड’ को लेकर ये बात कही जाती है की वह अमीरों का माल लूट कर गरीबों में बांटा करते थे। हालांकि यह पात्र असली थे या काल्पनिक इस बात का उल्लेख इतिहास के पन्नो में नहीं है क्यूकि रॉबिनहुड को असल जिंदगी में किसीने ने देखा नहीं है। लेकिन भारत में एक ऐसा डाकू हुआ है जो कि ठीक रॉबिनहुड की तरह ही अमीरों का माल लूट कर गरीबों में बांटा करता था और ये डाकू और इसकी कहानी काल्पनिक नहीं है यह कहानी असल जिंदगी की है ।
इतिहास बताता है की आज से करीब 130 साल पहले सुल्ताना नाम का एक डाकू हुआ करता था , सुल्ताना के चर्चे भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशो में भी हुआ करते थे वजह थी उसकी ईमानदारी , कहा जाता ही सुल्ताना डाकू इतना ईमानदार था की एक बार उत्तराखंड के हल्द्वानी के एक लाला ने डाकू सुल्ताना तो अपनी तिजोरी की चाबी तक दे दी थी। अब सवाल ये है की आखिर कौन था वो आदमी जिसकी ईमानदारी के चर्चे इतने हुए की सुल्ताना पर कई किताबे लिखी गयी , साथ ही बॉलीवुड और हॉलीवुड में सुल्ताना की कहानी पर फिल्मे भी बानी नमस्कार अभिवादन स्वीकार करिये निशा रावत का
ये कहानी शुरू होती है आज से करीब 130 साल पहले जब भारत अंग्रेजो का गुलाम हुआ करता था। उस समय स्थिति कुछ ऐसी थी की जो पेशदार या फिर भारत के अधिकारी लोग हुआ करते थे उनपर अच्छा खासा हुआ करता था , लेकिन जो गरीब तब्के के लोग थे वो रोटी रोटी के लिए मोहताज थे। उस समय डाकू सुल्ताना ही उन गरीब लोग की मदद किया करता था। सुल्ताना अक्सर पेशदार लोगो के घरो में घुसकर सारा पैसा लूट लिया करता था, और उसी पैसे को गरीबों में बांट दिया करता था ताकी गरीब 2 वक्त की रोटी खा सकें।
कहा तो यह भी जाता है कि सुल्ताना के डकैती करने का तरीका भी बेहद अलग हुआ करता था ऐसा इसलिए क्योंकि सुल्ताना जब भी कहीं डकैती करने जाता था तो यही प्रयास करता था कि किसी की जान ना जाएं या किसी भी तरीके का खून खराबा ना हो हालांकि अगर कोई जिद पर अड़ जाता था और सुल्ताना और उसके साथियों को चोट पहुंचाने की कोशिश करता था तब ही सुल्ताना किसी की जान लेता था। हैरत की बात तो यह है कि जब सुल्ताना किसी के यहां डकैती डालता था तो पहले से
ही लोगों को सूचित कर देता था सुल्ताना अपने साथियों के जरिए ये लोगो के नाम ये पैगाम भेजता था कि श्रीमान पधारने वाले हैं !
अपने कुछ इस अलग अंदाज़ में ही सुल्ताना डकैती किया करता था और जिस क्षेत्र से माल लूटता था उसी क्षेत्र के जरूरतमंदों को बटवा दिया करता था । सुल्ताना का यह सिलसिला कई सालों तक जारी रहा लेकिन फिर हुआ यह की अंग्रेजी सरकार को सुल्ताना की हरकतों की भनक लग गई और अंग्रेजी सरकार ने एक तजुर्बेकार अंग्रेज पुलिस अधिकारी फ्रैडी यंग को भारत बुलाने का फैसला लिया
।
ऐसा नहीं है कि फ्रैडी यंग से पहले भारतीय पुलिस ने सुल्ताना को पकड़ने नहीं चाहा , भारतीय पुलिस ने काफी कोशिश की लेकिन जैसे कि सुल्ताना गरीबों का मसीहा था और उसके इरादे नेक थे तो सुल्तानों को बचने के लोग पहले ही उसे सुचना दे दिया करते थे।आम लोग ही नहीं बल्कि पुलिस अधिकारी भी सुल्ताना को पुलिस के आने की खबर दे दिया करते थे। कहते है कि सुल्ताना की मद्द करने में पुलिस अधिकारी
मनोहर लाल को बड़ा हाथ हुआ करता। मनोहर लाल ही वो पुलिस अधिकारी थे जो हर बार सुल्ताना को पुलिस के उसके इलाके में पहुचने की सुचना दे देते थे।
लेकिन जब इस बात की खबर अग्रेज पुलिस अधिकारी फ्रैडी यंग को लगी तो फ्रैडी ने बड़ी चलाकी से मनोहर लाल का ट्रांसफर दूर इलाकें में कर दिया।
इसके बाद फ्रेडी यंग ने सुल्ताना की एक विश्वसनीय व्यक्ति जिनका नाम मुंशी अब्दुल रजाक था उन्हें अपने भरोसे में लिया। अब्दुल रजाक को भरोसे में लेने के बाद फ्रेडी ने सुल्ताना के बारे में हर बात पता की। अब्दुल रजाक की सूचना के बलबूते पर फ्रैडी ने सुल्ताना और उसके साथियों को नजीबाबाद से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी होने के बात फ्रेडी यंग सुल्ताना को आगरा जेल ले आए, जहां उस पर मुकदमा चला और सुल्ताना समेत 13 लोगों को सजा-ए-मौत का हुक्म सुना दिया गया।
सल्ताना को सजा हो चुकी थी और वह जेल में अपने आखिरी दिन काट रहा था इतिहासकार बताते हैं कि अपनी सजा के दिनों में सुल्ताना की उसे गिरफ्तार करने वाले फ्रैडी यंग से काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी दोस्ती इतनी गहरी हो गई थी कि फ्रैडी यंग ने सुल्ताना को अंग्रेजी हुकूमत के नाम माफी अर्जी लिखने का सुझाव दिया था सुल्ताना ने माफी अर्जी लिखी भी थी लेकिन वह अर्जी खारिज हो गई।
इसके बाद फ्रेंडी यंग अपने दोस्त के लिए काफी दुखी थे। फ्रेंडी सुल्ताना की जिंदगी से काफी प्रभावित थे। एक दिन की बात है कि फैंडी ने सुल्ताना से पूछा की क्या तुम्हारी जिंदगी की कोई इच्छा है इसपर सुल्ताना ने जबाब दिया कि मेरा एक साल साल का बैटा ओ है में चाहता हूँ कि वो जिंदगी में खूब पड़े लिखे और आगे बड़े। सुल्ताना की इस इच्छा पर फ्रैडी यंग सहमति जताई और सुल्ताना से वादा किया कि तुम्हारा बेटा जिंगदी में खूब पढ़ेगा और एक अच्छा आदमी बनेगा।
7 जुलाई 1924 सुल्ताना को फांसी के तख्ते पर लटका दिया गया। फ्रेडी काफी दुखी थे। लेकिन फ्रैडी ने अपने दोस्त की इच्छा पूरी की और सुल्ताना के बेटे को पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड भेज दिया शिक्षा पूरी करके सुल्ताना का बेटा जब लौटा तो उसने भारत में आईएएस का एग्जाम पास किया इतिहासकार बताते हैं कि सुल्ताना का बेटा एक उच्च अधिकारी बना और वह अपनी जिंदगी में इंस्पेक्टर जलने के पद से रिटायर हुआ था। इतिहास में इस बात का जिक्र है कि सुल्ताना अपने उसूलों का काफी पक्का था एक बार की बात है कि सुल्ताना उत्तराखंड के हल्द्वानी में डाका डालने पहुंचा सुल्ताना ने उस समय हल्द्वानी में होतीलाल-गिरधारीलाल फार्म हाउस के मालिक लाला रतन लाल को चिट्ठी भेजकर ₹20000 की मांग की। जब यह मांग पूरी नहीं हुई तो सुल्ताना खुद ही गिरधारी लाल के घर जा पहुंचा और उन्होंने लाला से 20000 रूपये मांगे वहीं लाला रतनलाल ने सुल्ताना को तिजोरी की चाबी ही दे। जब सुल्ताना ने तिजोरी तो तिजोरी में काफी पैसा था लेकिन सुल्ताना ने केवल ₹20000 उठाए और लाला को चाबी वापस कर दी। सुल्ताना ने जाते जाते लाला से एक सवाल पूछा कि मैंने तो सिर्फ तुमसे ₹20000 की मांग की थी और तुमने मुझे पूरी तिजोरी की चाबी ही पकड़ा दी. पैसे खोने का दर नहीं लगा इसपर लाला ने जवाब दिया की तुम पर भरोसा है तुम ज्यादा पैसे लेते ही नहीं। कहते है लाला का ये जवाब सुनकर सुल्ताना बिना पैसे लिए लौट गया था।