देहरादून। उत्तराखंड के गांधी के नाम से विख्यात महान राज्य आंदोलनकारी स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी की जयंती के पावन अवसर पर बुधवार को सूचना एवं लोक संपर्क निदेशालय में एक विशेष श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने बडोनी के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें नमन किया। चूंकि इंद्रमणि बडोनी की जयंती को राज्य में लोक संस्कृति दिवस के रूप में भी मनाया जाता है इसलिए इस अवसर पर लोक संस्कृति पर आधारित मनमोहक कार्यक्रमों की भी प्रस्तुति दी गई।
कार्यक्रम के दौरान संयुक्त निदेशक नितिन उपाध्याय ने स्वर्गीय बडोनी के जीवन और उनके संघर्षों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इंद्रमणि बडोनी ने उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन को एक नई और निर्णायक दिशा दी थी। उनके अमूल्य योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नितिन उपाध्याय ने याद दिलाया कि राज्य आंदोलनकारियों के अदम्य त्याग, समर्पण और बलिदान की बदौलत ही आज उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में है। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि आंदोलनकारियों के सपनों और विजन के अनुरूप राज्य को विकास के पथ पर आगे ले जाना हम सबका सामूहिक कर्तव्य है।
उपनिदेशक मनोज श्रीवास्तव ने भी बडोनी को याद करते हुए अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी न केवल एक प्रखर और जुझारू राज्य आंदोलनकारी थे बल्कि वे उत्तराखंड की लोक संस्कृति, परंपरा और पहाड़ी अस्मिता के भी प्रबल पक्षधर थे। उनका मानना था कि बिना अपनी संस्कृति के किसी भी समाज की पहचान अधूरी होती है। उन्होंने पहाड़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, लोक गीतों, संगीत और स्थानीय भाषा के संरक्षण पर हमेशा जोर दिया।
कार्यक्रम में मौजूद विभाग के अन्य अधिकारियों ने भी बडोनी को नमन किया और राज्य निर्माण आंदोलन में उनके योगदान की मुक्त कंठ से सराहना की। श्रद्धांजलि सभा के साथ साथ लोक संस्कृति पर आधारित कार्यक्रमों ने माहौल को और भी भावपूर्ण और उत्साहवर्धक बना दिया। इस अवसर पर सूचना विभाग के अधिकारी और कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे और उन्होंने बडोनी के आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।