धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। प्रदेश सरकार ने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से निजी स्कूलों के लिए भी कड़े नियम लागू कर दिए हैं। अब हिमाचल प्रदेश के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थी अगर पढ़ाई में कमजोर रहते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा यानी उन्हें फेल कर दिया जाएगा। सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा संशोधित निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 को अब प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों पर भी पूरी तरह से लागू कर दिया है।
पास होने के लिए लाने होंगे 33 प्रतिशत अंक
शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, अब विद्यार्थियों के लिए पास होने का मानदंड पहले से अधिक स्पष्ट और सख्त कर दिया गया है। नई व्यवस्था के तहत किसी भी छात्र को पास घोषित करने के लिए दो प्रमुख शर्तें पूरी करनी होंगी। पहली शर्त यह है कि विद्यार्थी को कुल मिलाकर 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही दूसरी और अहम शर्त यह है कि छात्र को एसए-1 (SA-1) और एसए-2 (SA-2) परीक्षाओं में प्रत्येक विषय के अंदर न्यूनतम 33 प्रतिशत अंक लाने ही होंगे। यदि कोई छात्र इन मापदंडों को पूरा नहीं कर पाता है, तो उसे उत्तीर्ण नहीं माना जाएगा।
विद्यार्थियों को मिलेगा सुधरने का एक मौका
हालांकि, सरकार ने छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए एक राहत भरा प्रावधान भी रखा है। यदि कोई विद्यार्थी मुख्य परीक्षा में आवश्यक अंक प्राप्त करने में असफल रहता है या फेल हो जाता है, तो उसे तुरंत उसी कक्षा में नहीं रोका जाएगा। ऐसे विद्यार्थियों को पास होने के लिए एक अतिरिक्त अवसर दिया जाएगा। असफल छात्रों की दोबारा परीक्षा ली जाएगी। लेकिन, यदि विद्यार्थी इस दूसरे मौके (री-एग्जाम) में भी पास नहीं हो पाता है, तो उसे उसी कक्षा में फेल करके रोक लिया जाएगा।
शीतकालीन स्कूलों में दिसंबर 2025 से लागू
स्कूल शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में स्थिति बिल्कुल साफ कर दी है। निदेशक स्कूल शिक्षा आशीष कोहली की ओर से प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों को पत्र जारी कर इन आदेशों को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। यह नई व्यवस्था अलग-अलग सत्र वाले स्कूलों में अलग-अलग समय पर लागू होगी। शीतकालीन अवकाश वाले स्कूलों में यह नियम दिसंबर 2025 की परीक्षाओं से प्रभावी होगा। वहीं, ग्रीष्मकालीन अवकाश वाले स्कूलों में जब मई महीने में परीक्षाएं आयोजित होंगी, तब इस नियम का पालन किया जाएगा।
सरकारी स्कूलों की तर्ज पर निजी में भी बदलाव
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में यह व्यवस्था पिछले वर्ष ही लागू कर दी थी। सरकारी स्कूलों में इसके सकारात्मक परिणामों को देखते हुए और शिक्षा के स्तर में एकरूपता लाने के लिए अब इसे निजी स्कूलों में भी अनिवार्य कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने दिसंबर 2024 में शिक्षा के अधिकार अधिनियम में संशोधन किया था, जिसके बाद राज्यों को यह अधिकार मिला था कि वे पांचवीं और आठवीं कक्षा में ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (किसी को फेल न करने की नीति) को खत्म कर सकें। अब निजी स्कूलों के छात्रों और उनके अभिभावकों को पढ़ाई के प्रति अधिक गंभीर होना पड़ेगा।
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