पौड़ी। जिला मुख्यालय पौड़ी से सटे गढ़वाल वन प्रभाग के नागदेव रेंज स्थित डोभाल ढांडरी गांव में दहशत का पर्याय बन चुके गुलदार को लेकर वन विभाग ने बड़ा और सख्त फैसला लिया है। वन विभाग ने महिला पर हमला करने वाले इस गुलदार को आदमखोर घोषित कर दिया है। साथ ही अंतिम विकल्प के रूप में उसे जान से मारने यानी शूट करने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड रंजन कुमार मिश्र ने इस संबंध में औपचारिक आदेश जारी किया है। इस आदेश के आने के बाद पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहे ग्रामीणों ने अपना प्रदर्शन स्थगित कर दिया है।
यह पूरा मामला 21 नवंबर का है जब डोभाल ढांडरी गांव की रहने वाली 62 वर्षीय भगवाना देवी अपनी बड़ी बहन 70 वर्षीय प्रेम देवी के साथ गांव के ही समीप थलधार तोक में घास काटने गई थीं। दोपहर करीब पौने तीन बजे वहां पहले से घात लगाकर बैठे गुलदार ने अचानक भगवाना देवी पर हमला कर दिया। अपनी बहन को मुसीबत में देख प्रेम देवी ने हिम्मत दिखाई और शोर मचाना शुरू कर दिया। प्रेम देवी ने सूझबूझ से काम लेते हुए पत्थर और लकड़ी जो भी हाथ लगा उसे गुलदार की तरफ फेंकना शुरू किया। शोर सुनकर और हमला होते देख गुलदार वहां से भाग खड़ा हुआ।
इस हमले में भगवाना देवी गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। ग्रामीणों ने उन्हें तत्काल जिला अस्पताल में भर्ती कराया। चिकित्सकों के मुताबिक गुलदार ने महिला के गले पर नाखूनों से गहरा घाव कर दिया था। उपचार के बाद 25 नवंबर को महिला को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। हालांकि इस घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश था। वे 22 नवंबर से पौड़ी-श्रीनगर हाईवे पर गडोली के पास धरना दे रहे थे। उनकी मांग थी कि गुलदार को आदमखोर घोषित कर उसे मारने के आदेश दिए जाएं। बीते 26 नवंबर को तो गुस्साए ग्रामीणों ने हाईवे पर एक घंटे तक जाम भी लगा दिया था।
अब वन विभाग के आदेश के बाद डीएफओ गढ़वाल अभिमन्यु ने आगे की कार्ययोजना साझा की है। उन्होंने बताया कि विभाग की प्राथमिकता सबसे पहले गुलदार को पिंजरे में कैद करने की होगी। यदि इसमें सफलता नहीं मिलती है तो उसे ट्रैंकुलाइज यानी बेहोश करने का प्रयास किया जाएगा। अगर ये दोनों तरीके विफल रहते हैं तो अंतिम विकल्प के रूप में उसे मारने की कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए क्षेत्र में जल्द ही शूटर तैनात किया जाएगा। फिलहाल वहां दो पिंजरे लगाए गए हैं और 10 सदस्यीय विभागीय टीम नियमित गश्त कर रही है। ट्रैंकुलाइज करने वाली टीम पहले से ही मौके पर तैनात है।
वन विभाग ने ग्रामीणों को सुरक्षा का भरोसा भी दिया है। अधिकारियों ने कहा कि स्कूल आने-जाने वाले बच्चों और जंगल या खेतों में चारा लेने जाने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए विभागीय टीम हमेशा तैयार रहेगी। उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी। सामाजिक कार्यकर्ता भास्कर बहुगुणा और विनोद दनोसी ने इसे ग्रामीणों की एकजुटता की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि सामूहिक आंदोलन के कारण ही प्रशासन को झुकना पड़ा है। हालांकि उन्होंने चेतावनी भी दी है कि यदि वन विभाग या प्रशासन ने अब किसी भी तरह की लापरवाही बरती तो आंदोलन दोबारा शुरू किया जाएगा।