नई दिल्ली
दुनिया की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण संस्था संयुक्त राष्ट्र में नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी शुरू हो चुकी है। संयुक्त राष्ट्र के वर्तमान महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का दूसरा कार्यकाल अगले साल समाप्त होने जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में इस पद की अहमियत को देखते हुए नए प्रमुख के चयन की प्रक्रिया औपचारिक रूप से आरंभ कर दी गई है। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों और 193 देशों वाली महासभा के अध्यक्ष ने एक साझा पत्र जारी कर इस प्रक्रिया का आगाज किया। इस पत्र के माध्यम से सभी सदस्य देशों से अगले महासचिव के लिए नाम और सुझाव मांगे गए हैं।
लैटिन अमेरिका से हो सकता है अगला महासचिव
संयुक्त राष्ट्र में महासचिव का पद आमतौर पर रोटेशन यानी क्षेत्रवार आधार पर बदला जाता है। मौजूदा महासचिव एंटोनियो गुटेरेस पुर्तगाल से आते हैं जो पूर्वी यूरोप का प्रतिनिधित्व करता है और वे साल 2016 में चुने गए थे। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि अगला महासचिव लैटिन अमेरिकी क्षेत्र से चुना जा सकता है। हालांकि यह कोई लिखित नियम नहीं है और राजनयिक अन्य क्षेत्रों से भी उम्मीदवारों के नाम आगे बढ़ा सकते हैं लेकिन परंपरा के अनुसार लैटिन अमेरिका का दावा मजबूत माना जा रहा है। शर्त केवल इतनी है कि उम्मीदवार संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य देश का नागरिक होना चाहिए।
क्या होती है चुनाव की पूरी प्रक्रिया
नए महासचिव को चुनने की प्रक्रिया काफी जटिल और लंबी होती है जो कई महीनों तक चलती है। इसमें सबसे अहम भूमिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की होती है। प्रक्रिया के तहत सुरक्षा परिषद गुप्त मतदान करती है जिसे तकनीकी भाषा में ‘स्ट्रॉ पोल’ कहा जाता है। इस पोल में परिषद के सदस्य हर उम्मीदवार के लिए तीन विकल्प चुनते हैं जो प्रोत्साहित करना हतोत्साहित करना या कोई राय नहीं देना होता है।
इस चुनाव में सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों अमेरिका रूस ब्रिटेन चीन और फ्रांस की सहमति सबसे ज्यादा जरूरी होती है। इन पांचों देशों को किसी एक नाम पर एकमत होना पड़ता है। स्ट्रॉ पोल के दौरान स्थायी सदस्यों और 10 चुने हुए अस्थायी सदस्यों के लिए अलग-अलग रंग के मतपत्रों का इस्तेमाल किया जाता है। जब सुरक्षा परिषद किसी एक नाम पर सहमत हो जाती है तो एक प्रस्ताव पास करके उस नाम की सिफारिश 193 सदस्यों वाली महासभा को भेजी जाती है। इसके बाद महासभा उस पर अपनी अंतिम मुहर लगाती है। एंटोनियो गुटेरेस के चयन के समय सहमति बनाने के लिए छह बार स्ट्रॉ पोल कराना पड़ा था।
इन तीन नामों की है सबसे ज्यादा चर्चा
अगला महासचिव बनने की दौड़ में कई दिग्गजों के नाम शामिल हैं लेकिन तीन नाम सबसे आगे चल रहे हैं।
पहला नाम मिशेल बैचलेट का है। चिली के राष्ट्रपति गैब्रियल बोरिस ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा है। मिशेल बैचलेट चिली की पूर्व राष्ट्रपति रह चुकी हैं। इसके अलावा वे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त और यूएन वुमन की कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं।
दूसरा नाम कोस्टा रिका की रेबेका ग्रिनस्पान का है। कोस्टा रिका के राष्ट्रपति रोड्रिगो शावेज ने संकेत दिया है कि वे रेबेका का नाम प्रस्तावित कर सकते हैं। रेबेका ग्रिनस्पान कोस्टा रिका की पूर्व उपराष्ट्रपति रही हैं और वर्तमान में वे संयुक्त राष्ट्र कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलेपमेंट की महासचिव हैं।
तीसरा प्रमुख नाम अर्जेंटीना के राफेल ग्रोसी का है। अर्जेंटीना की तरफ से इनके नाम को आगे बढ़ाया जा सकता है। राफेल ग्रोसी एक अनुभवी राजनयिक हैं और इस वक्त वे इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी के महानिदेशक पद पर कार्यरत हैं।
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