US: अप्रैल में चीन जाएंगे डोनाल्ड ट्रंप और अगले साल अमेरिका आएंगे शी जिनफिंग – The Hill News

US: अप्रैल में चीन जाएंगे डोनाल्ड ट्रंप और अगले साल अमेरिका आएंगे शी जिनफिंग

विश्व की दो महाशक्तियों अमेरिका और चीन के बीच कूटनीतिक संबंधों में एक नया और सकारात्मक मोड़ आता दिखाई दे रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बात की पुष्टि की है कि वह आगामी अप्रैल महीने में चीन की राजधानी बीजिंग का दौरा करेंगे। उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग द्वारा दिए गए निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। कूटनीतिक शिष्टाचार को आगे बढ़ाते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने भी चीनी राष्ट्रपति को अगले साल के अंत में अमेरिका की राजकीय यात्रा पर आने का न्योता दिया है, जिसे लेकर दोनों पक्षों में सहमति बनती दिख रही है।

दोनों नेताओं के बीच यह महत्वपूर्ण सहमति सोमवार सुबह फोन पर हुई एक लंबी बातचीत के दौरान बनी। यह वार्ता दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में हुई उनकी आमने-सामने की मुलाकात के लगभग एक महीने बाद हुई है, जो यह दर्शाता है कि दोनों देश लगातार संपर्क में हैं। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है कि सोमवार सुबह दोनों नेताओं के बीच फोन पर बात हुई, हालांकि उन्होंने बातचीत के बहुत अधिक विवरण साझा नहीं किए। लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने स्वयं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर इस बातचीत के बारे में जानकारी दी।

ट्रंप ने बताया कि जिनफिंग के साथ उनकी बातचीत बहुत अच्छी रही और दोनों देशों के बीच संबंध बेहद मजबूत हैं। इस वार्ता के दौरान वैश्विक महत्व के कई गंभीर मुद्दों पर चर्चा की गई। इनमें प्रमुख रूप से यूक्रेन में चल रहा युद्ध, नशीले पदार्थ फेंटेनाइल की तस्करी रोकने और दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौतों जैसे मुद्दे शामिल थे। डोनाल्ड ट्रंप ने विशेष रूप से किसानों और कृषि क्षेत्र को लेकर हुई चर्चा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चीन के साथ सोयाबीन और अन्य कृषि उत्पादों को लेकर अमेरिकी किसानों के हित में एक बहुत ही महत्वपूर्ण सौदा तैयार किया गया है। ट्रंप ने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में यह समझौता और भी बेहतर रूप लेगा, जिससे अमेरिकी कृषि क्षेत्र को लाभ होगा।

दूसरी ओर चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार बातचीत के दौरान शी जिनफिंग ने ताइवान के मुद्दे पर चीन का रुख बहुत ही स्पष्ट शब्दों में रखा। चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि ताइवान का मुख्यभूमि चीन में वापस मिलना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित हुई अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का एक अहम हिस्सा है। उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए याद दिलाया कि द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका और चीन ने एक साथ मिलकर लड़ाई लड़ी थी, इसलिए युद्ध की जीत से जो परिणाम और व्यवस्थाएं मिली थीं, उनकी रक्षा करना दोनों देशों की संयुक्त जिम्मेदारी है।

यह उच्च स्तरीय वार्ता ऐसे समय में हुई है जब एशिया में भू-राजनीतिक तनाव बना हुआ है। हाल ही में जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची का एक बयान सामने आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर चीन ताइवान के खिलाफ कोई आक्रामक कदम उठाता है या हमला करता है, तो जापान की सेना इसमें हस्तक्षेप कर सकती है। ऐसे तनावपूर्ण माहौल में अमेरिका और चीन के राष्ट्रपतियों के बीच हुई यह बातचीत और आने वाले समय में एक-दूसरे के देश की यात्रा का कार्यक्रम तय होना वैश्विक कूटनीति के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ताइवान एक स्वशासित द्वीप है जिस पर चीन अपना दावा करता है और यह मुद्दा दोनों महाशक्तियों के बीच अक्सर टकराव का कारण बनता रहा है।

 

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