Bihar: बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की जन सुराज NDA और महागठबंधन को देगी कड़ी टक्कर

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं, और नामांकन का दौर जोर-शोर से चल रहा है. इस चुनावी समर में एनडीए और महागठबंधन (जिसे इंडी गठबंधन भी कहा जा रहा है) के साथ-साथ प्रशांत किशोर की जन सुराज भी मजबूती से मैदान में उतर चुकी है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जन सुराज इस चुनाव में एक महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ेगी.

जन सुराज ने सबसे पहले जारी की प्रत्याशियों की सूची

जन सुराज ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की सूची सबसे पहले जारी करके सभी को चौंका दिया था. इस सूची में प्रशासनिक पृष्ठभूमि से जुड़े लोग, भोजपुरी कलाकार और विभिन्न क्षेत्रों के समाजसेवियों को शामिल किया गया है. जन सुराज इस चुनाव में एक मजबूत दावेदारी पेश कर रही है और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है.

प्रशांत किशोर का इंडी गठबंधन पर बड़ा हमला

आज मीडिया से बातचीत करते हुए जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने इंडी गठबंधन पर बड़ा हमला बोला. जब पत्रकारों ने उनसे महागठबंधन दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर सवाल किया, तो प्रशांत किशोर ने तंज कसते हुए कहा, “यह तो इंडी गठबंधन से जाकर पूछिए.” उन्होंने आगे दावा किया कि इस बार के चुनाव में इंडी गठबंधन तीसरे स्थान पर रहने वाला है. प्रशांत किशोर के अनुसार, मुख्य मुकाबला एनडीए और जन सुराज के बीच होगा. यह बयान बिहार की राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है और इसे इंडी गठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है.

इंडी गठबंधन में सीट बंटवारे का पेंच बरकरार

आपको बता दें कि अभी तक इंडी गठबंधन में सीटों को लेकर बंटवारा नहीं हो पाया है, और न ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा तय हो सका है. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस और मुकेश सहनी की वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) के बीच सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है. इस आंतरिक कलह का फायदा उठाने के लिए प्रशांत किशोर की जन सुराज पूरी तरह से तैयार दिख रही है. इंडी गठबंधन की यह देरी और आंतरिक खींचतान उसके चुनावी प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है.

प्रशांत किशोर का यह दावा कि जन सुराज इस बार मुख्य मुकाबले में रहेगी, बिहार चुनाव को और भी दिलचस्प बना देता है. यह देखना होगा कि जन सुराज एनडीए और महागठबंधन जैसी स्थापित पार्टियों के सामने कितनी चुनौती पेश कर पाती है और क्या प्रशांत किशोर का यह दावा हकीकत में बदल पाता है. चुनाव परिणाम ही यह तय करेंगे कि बिहार की जनता किस गठबंधन या पार्टी पर अपना भरोसा जताती है.

 

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