शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को सौंपा है। यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में बार-बार झूठ बोलने और सदन को गुमराह करने के आरोपों पर केंद्रित है। सुधीर शर्मा ने तीन पृष्ठों का यह प्रस्ताव अध्यक्ष को प्रेषित किया है और इसकी एक प्रति अपने इंटरनेट मीडिया हैंडल पर भी जारी की है, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
सुधीर शर्मा ने अपने पत्र में कई ऐसे मामलों का हवाला दिया है, जहां मुख्यमंत्री के बयानों में स्पष्ट विसंगतियां पाई गई हैं। सबसे पहले, उन्होंने रोजगार के आंकड़ों को लेकर मुख्यमंत्री के विरोधाभासी बयानों पर सवाल उठाए हैं। शर्मा के अनुसार, मुख्यमंत्री ने वर्ष 2025-26 के बजट भाषण में 25 हजार युवाओं को रोजगार दिए जाने की बात कही थी, जबकि पिछले वर्ष मानसून सत्र के दौरान उन्होंने सदन में 34 हजार से अधिक युवाओं को रोजगार देने की जानकारी दी थी। चौंकाने वाली बात यह है कि इसी वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने 23 हजार युवाओं को रोजगार दिए जाने का दावा किया, जिससे इन आंकड़ों की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया है।
विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव में सुधीर शर्मा ने कर्मचारियों को तीन प्रतिशत डीए (महंगाई भत्ता) की किस्त जारी करने के मामले में भी मुख्यमंत्री पर गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष के बजट में डीए दिए जाने की घोषणा की गई थी, लेकिन कर्मचारियों को यह डीए अभी तक नहीं मिला है और न ही फिलहाल इसके मिलने की कोई संभावना नजर आ रही है, जिससे कर्मचारी वर्ग में भारी निराशा है।
आपदा राहत राशि के वितरण को लेकर भी मुख्यमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाया गया है। सुधीर शर्मा ने कहा कि 15 फरवरी, 2024 को प्रश्न संख्या 1273 के जवाब में सरकार ने बताया था कि वर्ष 2023 की आपदा प्रभावितों को मुआवजे के तौर पर 483 करोड़ रुपये दिए गए, जो कि सरासर झूठ था। शर्मा ने खुलासा किया कि उनके एक हालिया सवाल के जवाब में बताया गया कि कुल 403 करोड़ रुपये की राहत राशि वितरित की गई है। इसमें से भी 96 करोड़ रुपये वित्तीय वर्ष 2022-23 के थे, जिसका अर्थ है कि वर्तमान सरकार ने केवल 307 करोड़ रुपये की राहत राशि ही वितरित की है, न कि 483 करोड़ रुपये।
स्वास्थ्य क्षेत्र में भी सरकार के दावों पर सवाल उठाए गए हैं। सुधीर शर्मा ने बताया कि पहले बजट सत्र से ही सरकार हर विधानसभा क्षेत्र में एक आदर्श स्वास्थ्य संस्थान बनाने की घोषणा कर रही है और इस दावे को हर विधानसभा सत्र में दोहराया जाता रहा है। हालांकि, आज तक एक भी ऐसा संस्थान नहीं बना है। विशेष रूप से, भाजपा के 28 विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों में भी ऐसा कोई संस्थान विकसित नहीं हुआ है। इसके अलावा, प्रदेश के अस्पतालों में पीईटी स्कैन मशीनें लगाने की बात भी लगातार हो रही है, लेकिन अभी तक किसी एक अस्पताल में भी पीईटी स्कैन मशीन स्थापित नहीं हो पाई है।
विधायक का कहना है कि आपदा राहत, सरकारी रोजगार, स्वरोजगार और अपनी ‘दस गारंटियों’ के बारे में सरकार ने सदन में कितनी बार झूठ बोला है, इसकी गिनती नहीं की जा सकती है। सुधीर शर्मा ने यह भी उल्लेख किया कि गारंटियों के मामले में मुख्यमंत्री के कुछ वक्तव्यों को तो विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने भी खारिज कर उन्हें सदन की कार्यवाही में ही “झूठा साबित” कर दिया था।
यह विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव मुख्यमंत्री के नेतृत्व और उनकी सरकार की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि विधानसभा अध्यक्ष इस प्रस्ताव पर क्या कार्रवाई करते हैं और सरकार इन आरोपों का किस तरह जवाब देती है।
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