US: ट्रंप-पुतिन की मुलाकात से पहले जेलेंस्की और यूरोपीय देशों का कड़ा रुख – The Hill News

US: ट्रंप-पुतिन की मुलाकात से पहले जेलेंस्की और यूरोपीय देशों का कड़ा रुख

नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध के भविष्य को लेकर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में हलचल तेज हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में एक महत्वपूर्ण मुलाकात प्रस्तावित है। लेकिन इस मुलाकात से पहले ही यूक्रेन और प्रमुख यूरोपीय देशों ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने साफ चेतावनी दी है कि यूक्रेन की पीठ पीछे कोई भी एकतरफा शांति समझौता उन्हें स्वीकार नहीं होगा।

इस मुलाकात को लेकर यूरोप में गहरी चिंता व्याप्त है। इसी आशंका के बीच कि ट्रंप रूस के राष्ट्रपति पुतिन के प्रभाव में आकर कोई ऐसा सौदा कर सकते हैं जो रूस के पक्ष में हो, एक उच्च-स्तरीय वर्चुअल समिट का आयोजन किया गया। सीएनएन की एक खबर के मुताबिक, इस समिट की अगुवाई जर्मन चांसलर फ्रीड्रिख मर्ज ने की, जिसमें यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ-साथ फ्रांस, जर्मनी, इटली, पोलैंड, फिनलैंड, नाटो और यूरोपीय संघ के शीर्ष नेता शामिल हुए। इस बैठक का मुख्य एजेंडा अलास्का वार्ता को लेकर एक साझा और मजबूत रणनीति तैयार करना था, ताकि यूक्रेन के हितों की रक्षा की जा सके।

बैठक के बाद बर्लिन में पत्रकारों से बात करते हुए राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बताया कि समिट में सभी नेताओं ने आगामी वार्ता के लिए “पांच साझा सिद्धांतों” पर सहमति बनाई है। इन सिद्धांतों में तत्काल युद्धविराम और यूक्रेन के लिए “विश्वसनीय” सुरक्षा गारंटी को सबसे ऊपर रखा गया है। जेलेंस्की ने अपने दृढ़ संकल्प को दोहराते हुए कहा, “यूक्रेन से जुड़ा हर मसला सिर्फ यूक्रेन के साथ ही तय होगा। हमें एक त्रिपक्षीय वार्ता (रूस, यूक्रेन और पश्चिमी सहयोगी) की तैयारी करनी होगी, जिसमें हमारी संप्रभुता और सुरक्षा सुनिश्चित हो।”

सूत्रों के हवाले से यह भी पता चला है कि डोनाल्ड ट्रंप ने रूस की ओर से “सद्भावना के प्रतीक” के रूप में एक बिना शर्त युद्धविराम का प्रस्ताव रखा है। हालांकि, यूक्रेन और उसके सहयोगी इसे संदेह की नजर से देख रहे हैं क्योंकि इसमें रूस की जवाबदेही और यूक्रेन की सुरक्षा की कोई ठोस गारंटी शामिल नहीं है।

यूक्रेन ने केवल सैद्धांतिक सहमति ही नहीं जताई, बल्कि एक समय-सीमा भी तय कर दी है। जेलेंस्की ने चेतावनी दी कि यदि शुक्रवार तक युद्धविराम पर कोई ठोस सहमति नहीं बनती है, तो रूस के खिलाफ मौजूदा प्रतिबंधों को और भी कड़ा किया जाएगा। उनका संदेश साफ है कि शांति की कोशिशों के समानांतर रूस पर कूटनीतिक और आर्थिक दबाव बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

इस बीच, अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस भी “कोएलिशन ऑफ द विलिंग” (इच्छुकों का गठबंधन) की एक बड़ी बैठक में शामिल हुए हैं, जो दर्शाता है कि अमेरिकी प्रशासन के भीतर भी इस मुद्दे पर गहन मंथन चल रहा है। अब सभी की निगाहें अलास्का में होने वाली इस बैठक पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि क्या यह शांति की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा या एक नया अंतरराष्ट्रीय विवाद खड़ा करेगा।

 

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