नई दिल्ली। आज से देवाधिदेव महादेव को समर्पित सावन के पावन महीने की शुरुआत हो गई है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा की समाप्ति के साथ ही 11 जुलाई से श्रावण मास का प्रारंभ हो गया है। इस अवसर पर देशभर के शिवालयों में ‘हर-हर महादेव’ और ‘बम-बम भोले’ के जयकारे गूंज रहे हैं। सुबह तड़के से ही मंदिरों के बाहर भक्तों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं, जो अपने आराध्य भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए आतुर हैं।
सावन के आगमन के साथ ही माहौल पूरी तरह से भक्तिमय हो गया है। राजधानी दिल्ली से लेकर भगवान शिव की नगरी काशी (वाराणसी), धर्मनगरी हरिद्वार, महाकाल की नगरी उज्जैन और अयोध्या तक, सभी प्रमुख शहरों के मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। मंदिरों को रंग-बिरंगे फूलों और आकर्षक लाइटों से विशेष रूप से सजाया गया है, जो एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत कर रहे हैं। घंटियों की निरंतर ध्वनि और मंत्रोच्चार के बीच श्रद्धालु दूध, जल, बेलपत्र, धतूरा और अन्य पूजन सामग्री लेकर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
इस बार 29 दिन का सावन, पड़ेंगे चार सोमवार
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस वर्ष सावन का महीना 29 दिनों का होगा, जो 11 जुलाई से प्रारंभ होकर 9 अगस्त को समाप्त होगा। इस दौरान कुल चार सोमवार पड़ेंगे, जिनका शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व होता है।
-
पहला सोमवार: 14 जुलाई
-
दूसरा सोमवार: 21 जुलाई
-
तीसरा सोमवार: 28 जुलाई
-
चौथा सोमवार: 4 अगस्त
सावन के सोमवार पर व्रत रखने और शिव पूजन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। माना जाता है कि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है और सावन के सोमवार पर की गई पूजा का फल कई गुना अधिक मिलता है।
पौराणिक महत्व और मान्यताएं
सावन के महीने का पौराणिक महत्व बहुत गहरा है। मान्यताओं के अनुसार, इसी महीने में समुद्र मंथन हुआ था, जिससे निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने पीकर सृष्टि की रक्षा की थी। विष के प्रभाव को शांत करने के लिए सभी देवताओं ने उन पर जल अर्पित किया था, तभी से शिवलिंग पर जलाभिषेक की परंपरा चली आ रही है।
एक अन्य प्रचलित कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सावन के महीने में ही कठोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। यही कारण है कि इस महीने में की गई शिव-पार्वती की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। विशेषकर अविवाहित कन्याएं सुयोग्य वर की कामना के साथ सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं।
सावन की शुरुआत के साथ ही मंदिरों में उमड़ी यह भीड़ पूरे महीने जारी रहने की उम्मीद है। भक्तों की भारी संख्या को देखते हुए प्रमुख मंदिर प्रशासनों और स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा और सुविधाओं के विशेष इंतजाम किए गए हैं। भक्ति, आस्था और उल्लास का यह संगम अगले एक महीने तक पूरे देश में देखने को मिलेगा।
Pls read:Delhi: मानसून का रौद्र रूप- उत्तर और मध्य भारत में अगले तीन दिन भारी बारिश का अलर्ट