नई दिल्ली: भारत के सर्वोच्च न्यायालय का छह सत्रों वाला दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शनिवार से शुरू हुआ। सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जिसमें उन्होंने एक टिकट और एक सिक्के का अनावरण किया। इस अवसर पर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा पर भी उन्होंने ज़ोर दिया।
पीएम मोदी ने कहा, “महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में जितनी तेजी से न्याय मिलेगा, उतनी जल्दी आधी आबादी को सुरक्षा का भरोसा मिलेगा।” उन्होंने आगे कहा, “भारत के लोगों ने कभी सुप्रीम कोर्ट पर, हमारी न्यायपालिका पर अविश्वास नहीं किया। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट के ये 75 वर्ष, मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में भारत के गौरव को और बढ़ाते हैं।”
पीएम मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल भी इस समारोह में उपस्थित थे।
न्याय में देरी को खत्म करने के लिए किए गए प्रयास:
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में देश ने न्यायिक संरचना के विकास के लिए लगभग 8 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं। उन्होंने नई भारतीय न्याय संहिता का भी जिक्र किया, जिसकी भावना ‘नागरिक पहले, गरिमा पहले और न्याय पहले’ है।
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा:
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठोर कानून बने हैं, लेकिन हमें इसे और सक्रिय करने की आवश्यकता है।
कपिल सिब्बल और अर्जुन मेघवाल के विचार:
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने कहा कि भारत में आबादी के अनुपात में जजों की संख्या बहुत कम है और जिला एवं सत्र स्तर पर रोस्टर पर बहुत अधिक बोझ है। उन्होंने निचली अदालतों को स्वतंत्रता प्रदान करने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।
कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि जिला न्यायालय हमारी न्यायपालिका का दर्पण है और इनके माध्यम से आम जनता अपने मन में न्यायपालिका की छवि का निर्माण करती है। उन्होंने पिछले एक दशक में ईज ऑफ जस्टिस को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की भी सराहना की।
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