देहरादून। जोशीमठ शहर की जेपी कालोनी में फूटी जलधारा में एक बार फिर पानी का प्रवाह बढ़ गया है। इस धारा में 24 घंटे पहले जल प्रवाह 190 एलपीएम (लीटर पर मिनट) था, जो अब बढ़कर 240 एलपीएम पहुंच गया है। सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि जल प्रवाह बढ़ने के कारणों की तकनीकी एजेंसी जांच कर रही है। उन्होंने इस क्षेत्र में भूमि के भीतर बड़ा जलस्रोत होने की संभावना से इन्कार नहीं किया। जोशीमठ के निचले हिस्से में मुख्य शहर से लगभग नौ किलोमीटर की दूरी पर मारवाड़ी में है जेपी कालोनी। इसी कालोनी में दो जनवरी को अचानक जलधारा फूटी थी। इससे निरंतर मटमैला पानी बह रहा है।
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जलधारा में चार जनवरी को पानी का प्रवाह 550 एलपीएम था, जो 13 जनवरी को घटकर 190 एलपीएम पर आ गया। इससे क्षेत्रवासियों के साथ ही विशेषज्ञ भी राहत महसूस कर रहे थे, लेकिन शनिवार को फिर से इसमें तेजी आ गई और यह 240 एलपीएम रिकार्ड किया गया। यह भी संभव है कि जमीन के भीतर पानी का कोई बड़ा स्रोत हो, जिससे ये जलधारा आ रही है। उन्होंने कहा कि जल प्रवाह बढ़ने के कारणों की तकनीकी एजेंसी जांच पड़ताल कर रही है। रविवार को वह स्वयं जोशीमठ में तकनीकी एजेंसी के विशेषज्ञों से इस संबंध में बातचीत करेंगे। जेपी कालोनी में दो जनवरी को फूटी जलधारा से लगातार मिट्टी व रेतयुक्त पानी बह रहा है। इस बीच जोशीमठ में भूधंसाव व भवनों में दरारें पडऩे या पहले से पड़ी दरारों के चौड़ी होने का क्रम भी तेज हुआ। कुछ लोग ये आशंका जता रहे हैं कि इस जलधारा से बह रहे पानी का संबंध एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग से है। यद्यपि इसे लेकर अभी तक कोई साक्ष्य नहीं है।
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