देहरादून, 28 फरवरी: देश भर में टोल टैक्स में हो रही वृद्धि के चलते उत्तराखंड के टोल…
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Uttarakhand: अपनी जिम्मेदारियो का निर्वहन करें अधिकारी, चारधाम यात्रा में लापरवाही पाए जाने पर होगी सख्त कार्रवाई : सीएम धामी
चारधाम यात्रा की निरंतर मॉनिटरिंग के लिए एसीएस आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में कमेटी गठन के…
HC: नैनीताल हाईकोर्ट का आदेश, एक साल में हो पूरे प्रदेश में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था
नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त करने के लिए दायर जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए राज्य सरकार को एक साल के भीतर पूरे प्रदेश में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि सरकार ने कई क्षेत्रों में राजस्व पुलिस के स्थान पर रेगुलर पुलिस की व्यवस्था कर दी है, शेष क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस व्यवस्था को लागू करने के लिए प्रक्रिया जारी है। दरअसल, वर्ष 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने भी नवीन चंद्र बनाम राज्य सरकार से संबंधित मामले में राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता महसूस की थी। राजस्व पुलिस की सीमाएं इस केस में कहा गया था कि राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की तरह प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। यही नहीं, राजस्व पुलिस के पास आधुनिक साधन जैसे डीएनए जांच, रक्त परीक्षण, फोरेंसिक जांच, फिंगर प्रिंट जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती हैं। इन सुविधाओं के अभाव में अपराधों की विवेचना करने में परेशानियां होती हैं। कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य में नागरिकों के लिए एक समान कानून व्यवस्था लागू होनी चाहिए। हाई कोर्ट का आदेश इधर हाई कोर्ट ने भी सरकार को राजस्व पुलिस व्यवस्था को लेकर वर्ष 2018 में कई दिशा निर्देश दिए थे, लेकिन आदेश का सरकार की ओर से पूरी तरह अनुपालन नहीं किया गया। याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया कि पूर्व में दिए आदेश का अनुपालन करवाया जाए। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने समाधान, कृष्णा विहार जाखन देहरादून नामक संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए सरकार को एक साल के भीतर सभी राजस्व क्षेत्रों में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करते हुए रेगुलर पुलिस व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए। आगे का कदम इस आदेश के साथ, उत्तराखंड सरकार को अब पूरे राज्य में एक समान कानून व्यवस्था लागू करने के लिए कार्य करना होगा। यह कदम राज्य के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नागरिकों के लिए एक सुरक्षित और न्यायपूर्ण वातावरण बनाने में मदद करेगा।
Uttarakhand: बीते चौबीस घंटों में गढ़वाल में 23 वनाग्नि की घटनाएं
देहरादून। प्रदेश में बीते 24 घंटे में वनाग्नि की 23 घटनाएं सामने आई हैं। लगातार आग…
Uttarakhand: मसूरी के पास खाई में गिरी कार, दो की मौत
देहरादून। मसूरी रोड पर शिखर फॉल के पास एक कार के खाई में गिरने से एक…
uttarakhand: बिना पंजीकरण यात्रा कर रहे यात्री वाहनों की जनपद रुद्रप्रयाग के केदारनाथ धाम जाने वाले मार्ग पर एंट्री रहेगी बन्द
बैरियर लगाकर पुलिस द्वारा किये जा रहे हैं पंजीकरण चेक प्रचलित केदारनाथ धाम यात्रा में अत्यधिक…
Uttarakhand: कूटरचना कर फर्जी रजिस्ट्रेशन तैयार करने पर दो के खिलाफ FIR दर्ज
बिना रजिस्ट्रेशन व रजिस्ट्रेशन की तिथि से पूर्व यात्रा न करें- एस0पी0 उत्तरकाशी चारधाम यात्रा का…
Uttarakhand: बिना पंजीकरण यमुनोत्री-गंगोत्री धाम न आएं तीर्थयात्री: सुंदरम
-सचिव मुख्यमंत्री आर मीनाक्षी सुंदरम ने लिया यात्रा व्यवस्थाओं का जायजा -ऋषिकेश और डामटा बैरियर पर…
Chardham: चारधाम यात्रा का दुष्प्रचार करने वाले तथा यात्रा के सम्बन्ध में फेक न्यूज या विडियो बनाने वालों के खिलाफ कठोर वैधानिक कार्यवाही के निर्देश
सीएस राधा रतूड़ी ने दिए चारधाम यात्रा का दुष्प्रचार करने वाले तथा यात्रा के सम्बन्ध में…
Uttarakhand: रिश्तों को शर्मशार करने वाले जीजा को 20 साल की सजा, DNA ने खोला राज
हल्द्वानी: एक नाबालिग से दुष्कर्म कर उसे गर्भवती करने के मामले में विशेष न्यायाधीश पाक्सो नंदन सिंह राणा की अदालत ने दोषी जीजा को 20 साल की सजा सुनाई है। यह मामला इसलिए भी चर्चा में रहा क्योंकि शुरुआत में पीड़िता के चचेरे भाई पर आरोप लगा था, जिसने बाद में आत्महत्या कर ली थी। क्या था मामला? फरवरी 2020 में नैनीताल में एक नाली में नवजात शिशु मिला था। जाँच में पता चला कि 15 वर्षीय एक किशोरी ने बच्चे को जन्म दिया था। पीड़िता ने अपने नाबालिग चचेरे भाई पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। पुलिस ने किशोर को बाल सुधार गृह भेज दिया और DNA सैंपल लिया। कुछ दिनों बाद किशोर ने आत्महत्या कर ली। DNA रिपोर्ट में किशोर और नवजात का DNA अलग–अलग निकला। मृतक किशोर के परिवार ने पीड़िता के जीजा समेत चार लोगों का DNA टेस्ट कराने की मांग की। रिपोर्ट में पीड़िता के जीजा ही बच्चे का जैविक पिता निकला। अदालत ने दोषी जीजा को 20 साल की सजा और 20 हजार रुपये जुर्माना लगाया। मामले के मुख्य बिंदु: DNA रिपोर्ट ने मामले का रुख बदल दिया और असली दोषी का पर्दाफाश किया। यह मामला रिश्तों की मर्यादा को तार–तार करने वाला है। शुरुआत में गलत आरोप लगने के कारण एक निर्दोष किशोर ने अपनी जान दे दी। यह घटना समाज में नैतिक मूल्यों के पतन और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों की ओर इशारा करती है।…