सोलन। स्पेशल पोक्सो फास्ट ट्रैक कोर्ट सोलन ने बद्दी में सात वर्षीय मासूम बच्ची के साथ हुए जघन्य दुष्कर्म और नृशंस हत्या के मामले में दोषी को फांसी की सजा सुनाई है। हिमाचल प्रदेश में पोक्सो एक्ट के तहत फांसी की सजा सुनाने का यह पहला मामला है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश परविंद्र सिंह की अदालत ने मासूम बच्ची के साथ हुई इस वारदात को अपवाद करार देते हुए स्पष्ट कहा है कि ऐसे जघन्य अपराध की इससे कम सजा का सवाल ही नहीं उठता। अदालत ने कहा है कि जिस तरीके से इस अपराध को अंजाम दिया गया है, वह असामान्य है और इसमें आजीवन कारावास की सजा अपर्याप्त है। बहरहाल अदालत ने अभियोजन पक्ष को पूरा मामला सजा के सत्यापन के लिए हाईकोर्ट को भेजने के आदेश दिए हैं।
अदालत ने दोषी आकाश (23) निवासी गांव हंसोलिया, पीओ संधोली, तहसील बिलग्राम, जिला हरदोई, उत्तर प्रदेश को आईपीसी 302 और पोक्सो एक्ट की धारा 6 व 10 के तहत फांसी की सजा दी है। जिला न्यायवादी मोहिंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि जिला सोलन के बद्दी थाने में 20 फरवरी 2017 को दर्ज मामले के मुताबिक आकाश ने कुरकुरे देने के बहाने से सात वर्षीय बच्ची को अपने साथ ले जाकर जघन्य दुष्कर्म किया और उसके बाद नृशंसता से उसकी हत्या कर दी। मेडिकल अफसर डॉ. पीयूष कपिला की ओर से किए गए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के मुताबिक दोषी ने बच्ची के प्राइवेट पार्ट में लकड़ी के टुकड़े डाल दिए थे। इससे मासूम की आंतें तक बाहर आ गई थीं, जिससे उसकी मौत हो गई।