देहरादून। भाजपा से बर्खास्तगी के बाद हरक सिंह रावत की कांग्रेस में एंट्री पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने रोक लगा दी। हरक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं, लेकिन कांग्रेस आलाकमान उनसे मुलाकात नहीं कर रहा। हरीश रावत अपनी शर्तों पर हरक को कांग्रेस में लाने का इरादा आलाकमान को अवगत करवा चुके हैं। हरीश रावत की पहली शर्त 2017 में कांग्रेस छोड़ने के लिए हरक की सार्वजनिक माफी है। अगर हरक 2017 की गलती मानते हैं तो उनको टिकट कहां से दिया जाएगा, यह भी हरीश तय करेंगे।
हरक सिंह रावत के चालीस साल के राजनीतिक जीवन में इससे बड़ी फजीहत नहीं हुई है। उन्हें भाजपा ने एक झटके में बर्खास्त कर बाहर का रास्ता दिखा दिया। हरक को जरा भी भनक नहीं लगी कि भाजपा नेतृत्व इतना बड़ा कदम उठा सकती है। हरक अपनी दंबक छवि के अनुसार कांग्रेस से मोल भाव करे में जुटे रहे, जिसपर भाजपा ने एक्शन ले लिया। यह पहली बार है कि उत्तराखंड के किसी राजनीतिक दल ने चुनाव से ठीक पहले अपने कैबिनेट मंत्री को बर्खास्त कर दिया हो। अब हरक की हालत त्रिशंकु की हो गई है। भाजपा के दरवाजे बंद हैं और कांग्रेस में उनकी एंट्री की राह में हरीश रावत रोड़ा हैं। हरीश रावत 2017 में दिखाई हरक की हनक को नहीं भूले हैं। हरीश रावत की सरकार को गिराने के लिए हरक ने जिस तरह 10 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ी थी, उसका दर्द हरीश गहेबगाहे याद करते रहते हैं। अब जब हरीश के हाथ हरक का सियासी भविष्य है, तो वह हरक को पुरानी गलतियां न केवल याद करवा रहे हैं बल्कि उसके लिए सार्वजनिक माफी भी चाहते हैं। हरक के पक्ष में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह हैं, लेकिन हरीश के अड़ने से प्रीतम भी हरक के लिए कांग्रेस का दरवाजा नहीं खुलवा पा रहे। हरक अपनी पुत्रवधु अनुकृति गुसाईं के साथ दिल्ली में कांग्रेस के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं, लेकिन हरीश उनकी एंट्री रोके हुए हैं। हरीश अगर उनको कांग्रेस में आने देते हैं तो भी हरक के लिए स्थितियां मनमाफिक नहीं होंगे। हरक को वहीं से चुनाव लड़ना होगा जहांसे हरीश चाहेंगे। यानि की पूरी तरह से हरक हरीश रावत के मेहरबानी पर आश्रित रहेंगे।