नई दिल्ली. अयोध्या और बाबरी मस्जिद का मुद्दा भारतीय राजनीति में हमेशा से ही बेहद संवेदनशील रहा है। जब भी इस विषय पर चर्चा होती है, राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो जाती है। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को लेकर दिए गए एक बयान ने नए विवाद को जन्म दे दिया है। रक्षा मंत्री ने दावा किया था कि नेहरू बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिए सरकारी खजाने का इस्तेमाल करना चाहते थे। इस दावे पर अब मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और रक्षा मंत्री के बयानों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
क्या था रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दावा
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पूर्व उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। अपने भाषण के दौरान उन्होंने इतिहास के पन्नों को पलटते हुए कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू बाबरी मस्जिद को दोबारा बनवाने के लिए जनता के पैसे यानी सरकारी फंड का इस्तेमाल करना चाहते थे।
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि नेहरू के इस प्रस्ताव के खिलाफ अगर कोई मजबूती से खड़ा था, तो वह सरदार वल्लभ भाई पटेल थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि पटेल ने सरकारी पैसे से बाबरी मस्जिद के निर्माण की अनुमति नहीं दी थी। अपनी बात को सिद्ध करने के लिए रक्षा मंत्री ने सोमनाथ मंदिर का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि जब सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण की बात आई थी, तो सरकार ने उसमें एक भी पैसा नहीं लगाया था। उसके लिए बाकायदा एक ट्रस्ट बनाया गया था और जनता के सहयोग से मंदिर का निर्माण हुआ था।
राजनाथ सिंह ने इसी तर्क को अयोध्या के राम मंदिर से भी जोड़ा। उन्होंने कहा कि आज राम मंदिर के निर्माण में भी सरकार का कोई पैसा नहीं लगा है, बल्कि यह जनता के सहयोग से बन रहा है और यही असली धर्मनिरपेक्षता (सेक्युलरिज्म) है।
कांग्रेस का पलटवार और दलीलें
रक्षा मंत्री के इन गंभीर आरोपों पर कांग्रेस ने कड़ा ऐतराज जताया है। कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने भारतीय जनता पार्टी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि रक्षा मंत्री जो दावे कर रहे हैं, उनके समर्थन में कोई भी दस्तावेजी सबूत या प्रमाण मौजूद नहीं है।
मणिकम टैगोर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी बात रखते हुए तर्क दिया कि जवाहरलाल नेहरू हमेशा से ही धार्मिक कार्यों के लिए सरकारी धन के उपयोग के सख्त खिलाफ थे। उनका स्पष्ट मत था कि धार्मिक स्थलों का निर्माण या जीर्णोद्धार जनता के आपसी सहयोग से होना चाहिए, न कि करदाताओं के पैसे से।
नेहरू और सोमनाथ मंदिर का तर्क
कांग्रेस नेता ने रक्षा मंत्री के दावों की हवा निकालने के लिए सोमनाथ मंदिर का ही उदाहरण पेश किया। मणिकम टैगोर ने तर्क दिया कि यह ऐतिहासिक सत्य है कि नेहरू ने सोमनाथ मंदिर के लिए सरकारी पैसा देने से मना कर दिया था, जबकि वह मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र था। टैगोर ने सवाल उठाया कि अगर नेहरू सोमनाथ मंदिर जैसे बड़े आस्था के केंद्र के लिए सरकारी खजाना खोलने को तैयार नहीं थे, तो यह कैसे संभव है कि वह बाबरी मस्जिद पर जनता का पैसा खर्च करने की सलाह देते? यह बात तार्किक रूप से मेल नहीं खाती।
इतिहास बदलने की कोशिश का आरोप
कांग्रेस ने इस पूरे प्रकरण को महज एक बयान नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति बताया है। मणिकम टैगोर ने कहा कि राजनाथ सिंह का बयान सिर्फ इतिहास के बारे में नहीं है, बल्कि यह राजनीति के गुजरे हुए कल को फिर से लिखने की एक कोशिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की यह पुरानी रणनीति रही है कि वह देश के संस्थापक नेताओं को नीचा दिखाए। कांग्रेस का कहना है कि इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए भाजपा नेता मनगढ़ंत कहानियां बना रहे हैं ताकि जवाहरलाल नेहरू की छवि को धूमिल किया जा सके। कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना किसी ठोस सबूत के लगाए गए ऐसे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।
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