नई दिल्ली. भारत और रूस के बीच सदियों पुराने रणनीतिक रिश्तों में एक नया और बेहद महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ने जा रहा है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से ठीक पहले दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। खबर है कि रूस की संसद का निचला सदन जिसे ड्यूमा कहा जाता है, वह मंगलवार को भारत के साथ एक अहम रक्षा समझौते को मंजूरी देने के लिए मतदान करेगा। इस समझौते का नाम भारत-रूस पारस्परिक रसद आदान-प्रदान यानी आरईएलओएस है। इस पर होने वाली वोटिंग का समय काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि यह रूसी राष्ट्रपति के भारत पहुंचने से महज दो दिन पहले हो रही है।
संसदीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ड्यूमा में मंगलवार को होने वाला यह मतदान महज एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच बढ़ते भरोसे का प्रतीक है। व्लादिमीर पुतिन गुरुवार से अपनी दो दिवसीय यात्रा पर भारत आ रहे हैं। इस यात्रा से पहले रूस अपनी संसद से इस समझौते को पास करवाकर यह संदेश देना चाहता है कि वह भारत के साथ रक्षा संबंधों को कितनी गंभीरता से लेता है। आरईएलओएस समझौते का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच समन्वय को और बेहतर बनाना है। इस समझौते के लागू होने के बाद संयुक्त सैन्य अभ्यास, आपदा राहत कार्यों और मानवीय सहायता मिशनों के दौरान दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों और रसद का इस्तेमाल आसानी से कर सकेंगी। इससे ऑपरेशनल क्षमता में भारी इजाफा होगा।
इस महत्वपूर्ण रक्षा समझौते की नींव पहले ही रख दी गई थी। दोनों विशेष रणनीतिक साझेदारों के बीच सैन्य सहयोग को मजबूत करने के लिए 18 फरवरी 2025 को मास्को में इस पर हस्ताक्षर किए गए थे। उस समय भारत की ओर से राजदूत विनय कुमार और रूस की ओर से तत्कालीन उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन ने इस दस्तावेज पर दस्तखत किए थे। अब रूसी संसद की मंजूरी मिलने के बाद यह समझौता पूरी तरह से प्रभावी हो जाएगा।
गुरुवार को जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत की धरती पर कदम रखेंगे, तो उनका एजेंडा काफी व्यस्त रहने वाला है। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। कूटनीतिक गलियारों में इस मुलाकात को लेकर काफी हलचल है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस वार्ता के दौरान रक्षा और व्यापार समेत कई अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। दोनों नेता द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को और अधिक मजबूत करने पर जोर देंगे।
रूस में भारत के राजदूत रह चुके अजय मल्होत्रा ने गुरुग्राम में एक साक्षात्कार के दौरान इस यात्रा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति का यह दौरा भारत की स्वतंत्र और स्वायत्त विदेश नीति का जीता जागता सबूत है। तमाम वैश्विक दबावों के बीच भारत और रूस की यह साझेदारी बताती है कि दोनों देशों के रिश्ते कितने गहरे और प्रगाढ़ हैं। यह यात्रा दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही दोस्ती की पुष्टि करती है और भविष्य के लिए एक रोडमैप तैयार करेगी।
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