राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर में मंगलवार को आयोजित हुई जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति यानी दिशा की बैठक भारी हंगामे की भेंट चढ़ गई। कलेक्ट्रेट सभागार में विकास कार्यों की समीक्षा के लिए बुलाई गई इस अहम बैठक में जनरतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। बैठक के दौरान बाड़मेर से सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल और शिव विधानसभा क्षेत्र से विधायक रविंद्र भाटी का गुस्सा सातवें आसमान पर नजर आया। दोनों ही नेताओं ने जिला कलेक्टर टीना डाबी और अन्य अधिकारियों की कार्यशैली पर जमकर सवाल उठाए और उन्हें फटकार लगाई।
यह पूरा वाकया तब शुरू हुआ जब बाड़मेर जिला कलेक्ट्रेट सभागार में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों की समीक्षा की जा रही थी। बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई थी और रात के 8 बजे तक चली। इतनी लंबी मैराथन बैठक के बावजूद नतीजों को लेकर जनप्रतिनिधि संतुष्ट नहीं दिखे। बैठक में माहौल तब गरमा गया जब यह पाया गया कि कई संबंधित विभागों के अधिकारी बैठक से नदारद थे। वहीं जो अधिकारी वहां मौजूद थे, वे भी फाइलों को लेकर पूरी तैयारी के साथ नहीं आए थे। जब सांसद और विधायकों ने उनसे सवाल पूछे तो वे संतोषजनक उत्तर देने के बजाय गोलमोल जवाब देकर बात को घुमाने की कोशिश करने लगे। अधिकारियों के इस रवैये को देख सांसद उम्मेदाराम का पारा चढ़ गया और उन्होंने वहीं अधिकारियों को खरी-खोटी सुना दी।
बात सिर्फ अधिकारियों तक सीमित नहीं रही। विधायक रविंद्र भाटी ने सीधे जिला कलेक्टर टीना डाबी से सवाल करते हुए नाराजगी जाहिर की। भाटी ने तल्ख लहजे में पूछा कि आखिर ऐसी मीटिंग बुलाई ही क्यों जाती है जब अधिकारियों को जवाब नहीं देना होता। उन्होंने कहा कि बैठक के नाम पर हम लोगों का कीमती समय खराब किया गया है। विधायक का कहना था कि जो भी योजनाएं या प्लान होते हैं, उनकी चर्चा बैठक में होनी चाहिए, लेकिन अगर प्रशासन को अकेले ही फैसले लेने हैं या अपनी मर्जी से ही काम करना है, तो फिर जनप्रतिनिधियों को बुलाने का क्या औचित्य है। उन्होंने साफ कहा कि अगर अकेले में मीटिंग करनी थी तो कर लेते, हमें क्यों बुलाया गया।
सांसद उम्मेदाराम ने भी कलेक्टर से जवाब मांगते हुए कहा कि जब अपनी मर्जी ही चलानी है तो औपचारिकता क्यों की जा रही है। इसी दौरान विधायक भाटी ने एक ऐसा बयान दिया जो अब चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने बैठक में हो रही देरी और अव्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह बैठक पूरे चार साल के लंबे अंतराल के बाद हो रही है। उन्होंने गुस्से में सवाल किया कि क्या चार साल बाद यह मीटिंग सिर्फ समोसा खाने के लिए बुलाई गई है।
भाटी ने अधिकारियों को आईना दिखाते हुए कहा कि सभी के पास बहुत काम है और व्यस्तता है, इसके बावजूद वे जनहित के मुद्दों के लिए यहां आए हैं। लेकिन चार साल बाद बैठक होने के बावजूद अगर कोई ठोस चर्चा या समाधान नहीं निकलता है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने आशंका जताई कि जिस तरह से चार साल बाद यह बैठक हुई है, अगली बैठक शायद फिर चार साल बाद ही होगी। बैठक में हुए इस हाई वोल्टेज ड्रामा और समोसे वाले बयान ने प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है। यह घटना प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच के समन्वय की कमी को भी उजागर करती है।
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