Punjab: मान सरकार की ऐतिहासिक पहल, हर बच्चे को मिलेगा शिक्षा का अधिकार – The Hill News

Punjab: मान सरकार की ऐतिहासिक पहल, हर बच्चे को मिलेगा शिक्षा का अधिकार

चंडीगढ़: पंजाब में भगवंत मान सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व अभियान छेड़ दिया है। 18 नवंबर 2025 से शुरू हुआ यह ‘घर-घर शिक्षा सर्वे’ मात्र एक सरकारी कवायद नहीं, बल्कि राज्य के प्रत्येक बच्चे के सुनहरे भविष्य की आधारशिला रखने का प्रयास है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित न रह जाए।

राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाया है कि शिक्षा का अधिकार केवल कागजों तक सीमित न रहे, बल्कि जमीनी हकीकत बने। पहली बार, शिक्षा विभाग के कर्मचारी अपने दफ्तरों से निकलकर सीधे लोगों के घरों तक पहुँच रहे हैं। चाहे वे प्रवासी मजदूर परिवारों के बच्चे हों, दिहाड़ी काम करने वालों के बच्चे हों, या झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चे हों – अब कोई भी बच्चा शिक्षा की मुख्यधारा से बाहर नहीं रहेगा। मान सरकार ने अपनी प्राथमिकता स्पष्ट कर दी है: गरीब और वंचित वर्ग के बच्चे सबसे पहले हैं। यह ‘वीआईपी संस्कृति’ को खत्म कर हर सामान्य नागरिक के बच्चे को सम्मान के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की प्रतिबद्धता है।

यह सर्वे विशेष रूप से समाज के सबसे कमजोर और अनदेखे बच्चों पर केंद्रित है। सड़क पर काम करने वाले, ढाबों में मजदूरी करते बच्चे, या कूड़ा बीनने वाले बच्चे – इन सभी की पहचान कर उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार इन बच्चों को विशेष प्रशिक्षण और स्कूलों में मुफ्त दाखिला सुनिश्चित करेगी। यह कदम उन लाखों माता-पिता के दिलों को सुकून देगा, जो अपने बच्चों को बेहतर जीवन देना चाहते हैं लेकिन अपनी बेबसी के कारण उन्हें स्कूल नहीं भेज पाते। एक ऐसी सरकार, जो गरीबों के दर्द को समझती है, अब हर बच्चे के भविष्य को संवारने का काम कर रही है।

इस सर्वे से जुटाए गए सटीक आंकड़ों के आधार पर, वार्षिक शिक्षा योजना 2026-27 का निर्माण किया जाएगा। इसका सीधा अर्थ है कि जिन क्षेत्रों में बच्चों की संख्या अधिक होगी, वहां नए ‘स्कूल ऑफ एमीनेंस’ खोले जाएंगे, आधुनिक स्मार्ट क्लासरूम बनाए जाएंगे और योग्य शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। सरकार केवल घोषणाएं नहीं कर रही, बल्कि एक सुविचारित योजना के तहत जमीनी स्तर पर कार्य कर रही है। यह डेटा-संचालित विकास का मॉडल है, जिसका लक्ष्य प्रत्येक मोहल्ले और शहर के स्कूलों को विश्वस्तरीय बनाना है।

सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों या प्रभारी को अपने 3 से 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले प्रत्येक घर का सर्वे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है। यह प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है ताकि कोई भी पात्र बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए। सर्वे टीमों को विशेष रूप से उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया गया है, जो अब तक शैक्षिक अवसरों से अछूते रहे हैं। इनमें प्रवासी मजदूरों के बच्चे, निर्माण श्रमिकों के परिवार, खानाबदोश समुदाय के बच्चे, और ढाबों, गैराजों या सड़कों पर जोखिम भरे कामों में लगे बच्चे शामिल हैं। इन अति-संवेदनशील बच्चों की पहचान सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता है।

इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की गई है। स्कूल प्रमुखों को कम से कम 80% दर्ज की गई जानकारी को क्रॉस-वेरिफाई करना होगा, और सारा डेटा एक विशेष ऐप पर अपलोड किया जाएगा। इसका मतलब है कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं होगी और कोई भी बच्चा छूटेगा नहीं। मान सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों में दृढ़ विश्वास रखती है।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सटीक और सत्यापित डेटा की उपलब्धता भविष्य में विभिन्न हस्तक्षेप कार्यक्रमों, आवासीय विद्यालयों और विशेष प्रशिक्षण केंद्रों (एसटीसी) की योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह सर्वे पंजाब में शिक्षा से जुड़ी चुनौतियों को गहराई से समझने और उन्हें प्रभावी ढंग से दूर करने के लिए एक मूलभूत अभ्यास साबित होगा।

“पंजाब का हर बच्चा पढ़ेगा, तभी पंजाब फिर से ‘रंगला पंजाब’ बनेगा!” – यह नारा भगवंत मान सरकार के उस मजबूत संकल्प को दर्शाता है, जिसके केंद्र में शिक्षा और राज्य के प्रत्येक नागरिक का उज्ज्वल भविष्य है।

 

Pls reaD:Punjab: खडूर साहिब सांसद अमृतपाल सिंह ने संसद सत्र में शामिल होने के लिए मांगी पैरोल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *