Uttarakhand: विकसित उत्तराखंड @ 2047: भविष्य के रोडमैप पर मंथन – The Hill News

Uttarakhand: विकसित उत्तराखंड @ 2047: भविष्य के रोडमैप पर मंथन

देहरादून, उत्तराखंड सरकार ने राज्य के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए “विकसित उत्तराखंड @ 2047” के रोडमैप पर गहन विचार-विमर्श के लिए एक दो दिवसीय प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन का आयोजन किया। सचिवालय के वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में शुरू हुए इस सम्मेलन में नीति-निर्माता, वरिष्ठ प्रशासक और जिला अधिकारी एक साथ आए ताकि राज्य के विकास यात्रा को नई दिशा दी जा सके।

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने अपने उद्घाटन भाषण में इस सम्मेलन को क्षेत्रीय अधिकारियों और नीति-निर्माताओं के बीच सीधा संवाद का एक महत्वपूर्ण मंच बताया। उन्होंने जोर दिया कि ऐसे प्रत्यक्ष संवाद से जमीनी स्तर की समस्याओं को समझने और उनके समाधान के लिए नीतिगत हस्तक्षेप करने में मदद मिलती है। उन्होंने पर्यटन, बागवानी, स्वास्थ्य एवं वेलनेस, और शहरी विकास को राज्य के प्रमुख विकास स्तंभों के रूप में चिह्नित किया। साथ ही, उन्होंने अनियोजित शहरीकरण को रोकने और नियोजित व सतत शहरी विकास की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्य सचिव ने कहा, “विकसित उत्तराखंड 2047 तभी साकार होगा जब नीति निर्माण में जमीनी वास्तविकताओं का समुचित प्रतिबिंब हो। यह विचार-विमर्श हमारे साझा दीर्घकालिक लक्ष्य के लिए ठोस और समन्वित समाधान प्रदान करेगा।”

प्रमुख सचिव डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम ने “विकसित उत्तराखंड 2047” की परिकल्पना प्रक्रिया प्रस्तुत करते हुए 2025 से 2047 तक सतत विकास प्राप्त करने के लिए प्रस्तावित व्यापक आर्थिक मार्गों का विस्तृत विवरण दिया। उन्होंने बताया कि राज्य का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) वर्तमान 3.78 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2047 तक 28.92 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। उन्होंने उच्च-मूल्य कृषि की ओर संक्रमण, सेवा क्षेत्र के विस्तार, डिजिटल पहुंच और गुणवत्ता के सुदृढ़ीकरण, साथ ही शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्रों के उन्नयन पर विशेष जोर दिया।

वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने राज्य की वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करते हुए अनुदानों की समाप्ति, राजस्व वृद्धि में मंदी और व्यय में बढ़ोतरी जैसी चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण, यथार्थवादी अनुमान, लाइफ-साइकिल लागत आकलन और विभागों के बीच समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि राज्य की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।

इंफ्रास्ट्रक्चर एवं मोबिलिटी रोडमैप प्रस्तुत करते हुए सचिव पंकज पांडे ने पिछले 25 वर्षों में बेहतर कनेक्टिविटी के क्षेत्र में हुई प्रगति को रेखांकित किया। उन्होंने भीड़भाड़ कम करने के उपायों, मजबूत एवं लचीले बुनियादी ढांचे, तथा सार्वजनिक परिवहन के बेहतर एकीकरण की आवश्यकता पर बल दिया, विशेषकर पर्यटन और आर्थिक विकास को गति देने के लिए।

पर्यटन विभाग की अतिरिक्त सचिव ने शीतकालीन पर्यटन की अवधारणा प्रस्तुत की और इस संबंध में चिन्हित कुछ सर्किट्स को क्रियाशील बनाने के लिए नीतियों एवं प्रभावी अभिसरण की आवश्यकता पर जोर दिया।

सम्मेलन के दौरान बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत, उधम सिंह नगर और हरिद्वार के जिलाधिकारियों ने क्रमशः हर्बल एवं औषधीय पौधों, वाइब्रेंट विलेजेज, बागवानी की संभावनाओं, आकांक्षी जिला पहल और कचरा प्रबंधन से संबंधित अपने-अपने जिलों के उत्कृष्ट कार्यों का प्रस्तुतीकरण किया। जिलाधिकारियों ने विभिन्न जिला-स्तरीय चुनौतियों को भी साझा किया, जिस पर मुख्य सचिव ने चुनौतियों के समाधान और राज्य के त्वरित विकास हेतु कुछ संस्थागत ढांचे विकसित करने का सुझाव दिया।

इस सफल सम्मेलन का संचालन अपर सचिव नवनीत पांडेय ने किया। बैठक में प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु व एल. एल. फैनई सहित संबंधित अधिकारी भी उपस्थित थे।

 

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