लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण को लेकर उठे विवाद की सुनवाई आज 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच करेगी। इस महत्वपूर्ण सुनवाई से पहले, आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों ने अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए पूरे प्रदेश में अपनी आवाज बुलंद कर दी है।
अभ्यर्थियों ने पहले ही बेसिक शिक्षा विभाग और शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी समस्याओं से अवगत करा दिया था। अब वे विभिन्न जिलों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों, सांसदों और जिला अध्यक्षों से मिलकर याची लाभ देने की मांग कर रहे हैं। यह क्रम बरेली और बदायूं से शुरू हुआ है और अभ्यर्थी लगातार अन्य जिलों में भी जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर रहे हैं। उनका कहना है कि आज भी कई जिलों में भाजपा नेताओं से मुलाकात कर अपनी समस्या को प्रमुखता से रखा जाएगा। यह दिखाता है कि अभ्यर्थी इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं और हर संभव माध्यम से अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं।
यह भर्ती प्रक्रिया तब विवादों में घिर गई थी जब आरक्षण नियमों के कथित उल्लंघन की बात सामने आई थी। अभ्यर्थियों का आरोप है कि नियमों के अनुसार उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया, जिससे उनकी नियुक्ति प्रभावित हुई है। इस मामले ने प्रदेश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है और यह एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है।
पिछड़ा-दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेश चौधरी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और उनकी टीम दिल्ली के लिए रवाना हो चुकी है। अभ्यर्थियों को पूरी उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय से उन्हें न्याय मिलेगा और आरक्षण से जुड़ी उनकी समस्या का समाधान जल्द होगा। वे लंबे समय से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं और उन्हें विश्वास है कि अदालत उनके पक्ष में फैसला सुनाएगी।
यह मामला केवल कुछ व्यक्तियों के अधिकारों का नहीं, बल्कि लाखों अभ्यर्थियों की उम्मीदों और सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता तथा न्याय सुनिश्चित करने का भी है। इस सुनवाई का परिणाम उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था और भर्ती नीतियों पर गहरा प्रभाव डालेगा। सरकार पर भी दबाव है कि वह इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकाले, ताकि भविष्य में ऐसी विवादित स्थितियां उत्पन्न न हों। आज की सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि इसका सीधा असर हजारों परिवारों के भविष्य पर पड़ेगा।
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