शिमला। हिमाचल प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत और नगर निकायों की सीमाओं में किसी भी तरह के बदलाव पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग ने एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना में आदर्श चुनाव आचार संहिता का हवाला दिया गया है, जिसके तहत एक बार जब निर्वाचन प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तो सीमाओं को फ्रीज कर दिया जाता है। उसके बाद किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकता है। अधिसूचना में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अब नगर निकायों और पंचायतों से संबंधित किसी भी तरह का बदलाव नहीं होगा।
राज्य निर्वाचन आयोग के इस आदेश से हिमाचल प्रदेश में पंचायत और नगर निकाय चुनाव तय समय पर होने की संभावना बढ़ गई है। इससे पहले, सरकार ने पंचायतों की सीमाओं में बदलाव को मंजूरी दी थी, जिससे चुनाव की समय-सारणी पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे थे।
हाल ही में प्रदेश सरकार ने नादौन नगर पंचायत और ऊना नगर निगम के क्षेत्र में बदलाव को लेकर 20 दिन का समय आपत्तियों के लिए दिया था, जिसमें प्रभावित लोगों से आपत्तियां मांगी गई थीं। ऐसे में, राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचना जारी करने के साथ ही यह सारी प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से रुक गई है। यह कदम चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पंचायत चुनाव को लेकर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में मामले से संबंधित कोई भी नोटिस अभी तक न तो राज्य निर्वाचन आयोग और न ही पंचायती राज विभाग को मिला है। उच्च न्यायालय में चुनाव से संबंधित मामला जाने के बाद आयोग और विभाग ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। यह दर्शाता है कि अधिकारी चुनाव प्रक्रिया को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं और किसी भी कानूनी चुनौती का सामना करने के लिए तत्पर हैं।
हिमाचल प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त अनिल खाची ने बताया कि आयोग की तरफ से अधिसूचना जारी कर दी गई है, जिसमें सीमाओं में किसी भी तरह का बदलाव न करने के स्पष्ट आदेश दिए गए हैं। यह निर्णय यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है कि चुनाव प्रक्रिया सुचारू रूप से और बिना किसी बाधा के संपन्न हो सके।
इस कदम से उन अटकलों पर विराम लग गया है कि चुनावों को स्थगित किया जा सकता है या उनकी समय-सारणी में बदलाव किया जा सकता है। अब स्थानीय निकायों के चुनाव समय पर होने की उम्मीद है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी और जमीनी स्तर पर जनता की भागीदारी सुनिश्चित होगी। निर्वाचन आयोग का यह निर्णय चुनाव प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने और किसी भी राजनीतिक हस्तक्षेप से बचने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब सभी संबंधित पक्षों को इन निर्देशों का पालन करना होगा और चुनाव की तैयारी में जुटना होगा।
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