Himachal: सरकार ने मेधावी छात्रों को ई-गैजेट देने की योजना में किया बदलाव, अब केवल सरकारी स्कूलों के छात्रों को मिलेगा लाभ

शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने 10वीं और 12वीं कक्षा के मेधावी छात्रों को ई-गैजेट (लैपटॉप-टैबलेट) देने की योजना में बदलाव किया है। राज्य सरकार अब केवल सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को ही ई-गैजेट देकर सम्मानित करेगी। पहले इस योजना में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के मेधावी विद्यार्थी भी शामिल थे, लेकिन अब उन्हें इस योजना से बाहर कर दिया गया है।

सोमवार को राज्य सरकार ने स्कूल शिक्षा निदेशालय को इस संबंध में नए सिरे से मेधावी विद्यार्थियों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि पिछले तीन सालों से यह पुरस्कार विद्यार्थियों को नहीं मिला है, जिससे हजारों मेधावी छात्र इंतजार कर रहे थे।

10 हजार मेधावियों को हर साल मिलता था सम्मान

योजना के अनुसार, पहले हर साल 10 हजार मेधावी छात्रों को यह सम्मान दिया जाता था, जिनमें 10वीं, 12वीं और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के विद्यार्थी शामिल होते थे। अब इस योजना में बदलाव के बाद इनकी संख्या कम हो जाएगी, क्योंकि निजी स्कूलों और एचपीयू के छात्रों को बाहर कर दिया गया है।

31 दिसंबर से पहले लैपटॉप आवंटन संभव

सूत्र बताते हैं कि एक साथ तीनों साल के मेधावी छात्रों को सम्मानित किया जाएगा। राज्य सरकार अपने तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के मौके पर मेधावियों को सम्मानित कर सकती है। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने तय किया है कि 31 दिसंबर से पहले लैपटॉप आवंटन की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा, ताकि छात्रों को जल्द से जल्द इसका लाभ मिल सके।

16-16 हजार रुपये के मिलने हैं वाउचर

स्कूल शिक्षा निदेशालय विद्यार्थियों को 16-16 हजार रुपये के वाउचर देगा। इन वाउचरों के जरिए छात्रों के पास यह विकल्प रहेगा कि यदि वे ज्यादा कीमत का लैपटॉप या टैबलेट खरीदना चाहते हैं तो वह अतिरिक्त राशि का भुगतान करके खरीद सकते हैं। सरकार ने राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन के माध्यम से इसकी खरीद होगी, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।

योजना में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए एक पोर्टल भी तैयार किया गया है। इस पोर्टल पर अपनी जानकारी अपलोड करने के बाद मेधावी छात्र अपनी पसंद के किसी एक ई-गैजेट को चुन सकेंगे। यह कदम डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने और मेधावी छात्रों को आधुनिक तकनीकी उपकरणों से लैस करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। हालांकि, निजी स्कूलों के छात्रों को बाहर करने के फैसले पर बहस छिड़ सकती है।

 

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