नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच गौतम गंभीर ने आखिरकार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 सीरीज के लिए अर्शदीप सिंह और कुलदीप यादव को टीम से बाहर रखने के अपने फैसले पर चुप्पी तोड़ी है। गंभीर ने बताया कि टीम के ड्रेसिंग रूम में पूरी पारदर्शिता है और मैच विजेता खिलाड़ियों को बाहर रखने का यह फैसला उनके कोचिंग करियर का सबसे मुश्किल फैसला था। उन्होंने बीसीसीआई को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही।
खिलाड़ियों को बाहर करने पर गंभीर का बयान
कोच गंभीर ने कहा कि ऐसे मौकों पर खिलाड़ियों के साथ खुली बातचीत बनाए रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि जब खिलाड़ी जानते हैं कि वे प्लेइंग इलेवन में शामिल होने के योग्य हैं, तो उनकी निराशा स्वाभाविक है। उन्होंने अर्शदीप सिंह का उदाहरण दिया, जो भारत के टी20 इंटरनेशनल में नंबर-1 विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले दो टी20 इंटरनेशनल मैचों के लिए हर्षित राणा को उन पर तरजीह दी गई।
अर्शदीप को आराम देने के फैसले को लेकर गंभीर की काफी आलोचना भी हुई थी। हालांकि, अर्शदीप ने बाद में सीरीज में मजबूत वापसी की और तीसरे टी20 इंटरनेशनल में तीन विकेट लिए, और इसके बाद चौथे मैच में 1/22 विकेट लिए। इन मुश्किल फैसलों को स्वीकार करते हुए, गंभीर ने कहा कि योग्य खिलाड़ियों को बाहर करना उनके काम का सबसे कठिन हिस्सा है।
उन्होंने इस संबंध में कहा, “कोच के रूप में यह मेरे लिए शायद सबसे मुश्किल काम है। यह मेरी सबसे कठिन नौकरी है। कभी-कभी जब मुझे मालूम होता है कि बेंच पर काफी गुणवत्ता है और हर खिलाड़ी प्लेइंग इलेवन में शामिल होने का हकदार है, फिर भी आपको उसमें से बेहतर 11 खिलाड़ी चुनने होते हैं, लेकिन मेरे लिए सबसे मुश्किल है बातचीत और संवाद।”
कोच गौतम गंभीर ने आगे इस बात पर जोर दिया कि संवाद बिल्कुल स्पष्ट और ईमानदार होना चाहिए। उन्होंने समझाया कि “अगर आप किसी को बता रहे हैं कि वह नहीं खेल रहा, तो यह कोच और खिलाड़ी दोनों के लिए काफी मुश्किल पल होता है, क्योंकि मैं जानता हूं कि निराशा होगी, जब उसे पता चलेगा कि वह हकदार है, लेकिन फिर भी बाहर है, लेकिन अगर आप ईमानदार हैं, दिल से बात कर रहे हैं तो उसके बाद कुछ बाकी नहीं रहता।”
गंभीर के बयान से यह स्पष्ट होता है कि कोचिंग एक ऐसा पद है जहां कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं, खासकर जब टीम में कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हों। उनके अनुसार, इन स्थितियों में ईमानदारी और स्पष्ट संचार ही सबसे महत्वपूर्ण होते हैं, ताकि खिलाड़ी के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े और टीम का माहौल सकारात्मक बना रहे। यह दिखाता है कि गंभीर एक कोच के तौर पर खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य और टीम के सौहार्द को कितना महत्व देते हैं।
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