Himachal: हिमाचल में दिवाली, गुरुपर्व, क्रिसमस और नववर्ष पर केवल ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति, दो घंटे की मिली छूट

शिमला। हिमाचल प्रदेश में आगामी त्योहारों के सीजन में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने पटाखों के उपयोग को लेकर कड़े निर्देश जारी किए हैं। दिवाली, गुरुपर्व, क्रिसमस और नववर्ष जैसे त्योहारों पर केवल ग्रीन पटाखों का ही उपयोग किया जा सकेगा, और इसके लिए भी केवल दो घंटे की अनुमति दी गई है। यह निर्देश पर्यावरण, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा जारी किए गए हैं।

विभाग ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजे गए एक पत्र में स्पष्ट किया है कि दिवाली, गुरुपर्व, क्रिसमस और नववर्ष की पूर्व संध्या पर केवल ग्रीन पटाखों की अनुमति होगी। इस संबंध में शिक्षण संस्थानों में बच्चों के अलावा आम लोगों को भी जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि वे पर्यावरण के अनुकूल पटाखों का उपयोग करें और वायु प्रदूषण को कम करने में सहयोग करें।

वायु गुणवत्ता की नियमित निगरानी

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पूरे राज्य में चयनित स्थानों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) की नियमित निगरानी करेगा। यह आदेश राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुपालन में जारी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के दिशानिर्देशों के अनुसार, जिन क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता खराब या उससे ऊपर की श्रेणी में आती है, वहां सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री या उपयोग पर पूरी तरह रोक लगाई गई है। वहीं, मध्यम या उससे नीचे वायु गुणवत्ता वाले क्षेत्रों में केवल ग्रीन पटाखों की अनुमति दी गई है।

हिमाचल प्रदेश के अधिकांश जिले मध्यम और संतोषजनक वायु गुणवत्ता स्तर के अंतर्गत आते हैं, इसलिए यहां ग्रीन पटाखों के उपयोग की अनुमति दी गई है, लेकिन समय सीमा के साथ।

ऑनलाइन बिक्री पर भी रोक

सरकार ने पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे पटाखों के ऑनलाइन ऑर्डर स्वीकार या बिक्री नहीं करेंगे। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि नियमों का उल्लंघन न हो और लोग आसानी से प्रतिबंधित पटाखों तक न पहुंच सकें। इस निर्णय का उद्देश्य त्योहारों के दौरान होने वाले अत्यधिक वायु प्रदूषण को रोकना और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है। यह सुनिश्चित करेगा कि राज्य में उत्सव का माहौल बना रहे, लेकिन पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो।

 

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