नई दिल्ली: 12 जून 2025 को गुजरात के अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के विमान हादसे में 270 लोगों की जान चली गई थी. इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद भी विमान दुर्घटना का असली कारण सामने नहीं आ पाया है और जांच अभी जारी है. इस बीच, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया है.
अहमदाबाद विमान दुर्घटना को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें इस घटना की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.
सर्वोच्च न्यायालय ने विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट को ‘गैर जिम्मेदाराना’ बताया है. इस रिपोर्ट में दुर्घटना का स्पष्ट कारण बताए बिना पायलट की गलती का अंदेशा जताया गया था. कोर्ट ने इस हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की.
लाइव लॉ के अनुसार, सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दावा किया है कि एयर इंडिया विमान दुर्घटना की जांच में मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है. ] याचिका में AAIB की रिपोर्ट पर सवाल उठाए गए हैं.
AAIB ने अपनी रिपोर्ट में ‘फ्यूल कटऑफ’ होने को विमान दुर्घटना की संभावित वजह बताया था. याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि एयर इंडिया के बोइंग ड्रीमलाइनर 171 विमान की कमान अनुभवी पायलटों के हाथ में थी. उन्होंने यह भी बताया कि हादसे को 100 दिन से अधिक हो चुके हैं, लेकिन अब तक केवल प्राथमिक रिपोर्ट ही जारी की गई है, जिसमें भी दुर्घटना का कारण स्पष्ट नहीं है. ] भूषण ने तर्क दिया कि इससे बोइंग विमान में यात्रा करने वाले सभी यात्रियों की जान जोखिम में है.
प्रशांत भूषण ने जांच दल की संरचना पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर रही पांच सदस्यीय टीम में तीन सदस्य नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के हैं. ] चूंकि DGCA भी इस विमान दुर्घटना में जिम्मेदार हो सकता है, ऐसे में उन्होंने इसकी निष्पक्ष जांच पर संदेह व्यक्त किया.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है और मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाने का आदेश दिया है. AAIB रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हिस्सों में जानकारी साझा करने की बजाय, जब तक जांच पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाती और कोई निष्कर्ष नहीं निकलता, तब तक गोपनीयता का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए. अदालत ने यह भी कहा कि ऐसी त्रासदियों का उपयोग प्रतिद्वंद्वी एयरलाइनें प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए कर सकती हैं, इसलिए अफवाहों और अटकलों से बचना महत्वपूर्ण है.