Nepal: नेपाल में शांति और प्रगति की ओर नए कदम- सुशीला कार्की के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने संभाला कार्यभार – The Hill News

Nepal: नेपाल में शांति और प्रगति की ओर नए कदम- सुशीला कार्की के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने संभाला कार्यभार

नई दिल्ली: नेपाल में जेन-जी के हिंसक विरोध प्रदर्शनों और भ्रष्टाचार व इंटरनेट मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ आंदोलन के बाद केपी शर्मा ओली की सरकार के इस्तीफे के उपरांत देश अब शांति और प्रगति के पथ पर अग्रसर होता दिख रहा है. सुशीला कार्की के नेतृत्व में गठित अंतरिम सरकार के मंत्रियों ने सोमवार को अपने पदभार संभाल लिए हैं. इस नई सरकार में अनुभव को प्राथमिकता दी गई है, जिसका उद्देश्य देश को अस्थिरता से बाहर निकालना है.

राष्ट्रपति ने दिलाई मंत्रियों को शपथ:
राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने सोमवार को तीन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई. यह शपथ ग्रहण समारोह राष्ट्रपति कार्यालय शीतल निवास में एक तंबू में आयोजित किया गया, क्योंकि हाल ही में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान शीतल निवास क्षतिग्रस्त हो गया था.

प्रमुख मंत्रियों और उनके प्रभार:

  • ओम प्रकाश आर्याल (गृह मंत्री, विधि, न्याय एवं संसदीय कार्य मंत्रालय): मानवाधिकार वकील और राजधानी काठमांडू के मेयर के पूर्व सलाहकार ओम प्रकाश आर्याल को गृह मंत्री बनाया गया है. उन्हें विधि, न्याय एवं संसदीय कार्य मंत्रालय की भी जिम्मेदारी दी गई है.

  • रमेश्वर खनाल (वित्त मंत्री): पूर्व वित्त सचिव रमेश्वर खनाल को देश का नया वित्त मंत्री नियुक्त किया गया है.

  • कुलमान घिसिंग (ऊर्जा, जल संसाधन और सिंचाई, परिवहन और शहरी विकास मंत्रालय): बिजली प्राधिकरण के पूर्व सीईओ कुलमान घिसिंग को ऊर्जा, जल संसाधन और सिंचाई, परिवहन और शहरी विकास मंत्रालय का प्रभार दिया गया है. घिसिंग ने पहले देश में लोड-शेडिंग की समस्या को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके लिए उनकी काफी सराहना हुई थी.

अंतरिम सरकार का मुख्य लक्ष्य निष्पक्ष चुनाव:
पदभार ग्रहण करने के बाद गृह मंत्री ओम प्रकाश आर्याल ने स्पष्ट किया कि अंतरिम सरकार का मुख्य लक्ष्य एक स्वतंत्र और निष्पक्ष माहौल में समय पर चुनाव कराना है. उन्होंने विरोध प्रदर्शनों के दौरान अत्यधिक बल प्रयोग की जांच कराने का भी वादा किया, जिससे जेन-जी आंदोलनकारियों की चिंताओं को संबोधित किया जा सके. उल्लेखनीय है कि जेन-जी आंदोलनकारियों के प्रदर्शन के बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया था.

सुशीला कार्की – नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री:
जेन-जी आंदोलन के बाद सुशीला कार्की ने रविवार को प्रधानमंत्री का पदभार संभाला है. वह नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने सख्त रुख के लिए जानी जाती हैं.

जेन-जी प्रदर्शनकारियों की मौत पर शोक दिवस:
नेपाल बुधवार को जेन-जी प्रदर्शनकारियों की मौत पर शोक मनाएगा. गृह मंत्री ओम प्रकाश आर्याल ने घोषणा की कि देशभर में सार्वजनिक कार्यालय बंद रहेंगे और राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा. ये प्रदर्शनकारी पिछले सप्ताह हिंसक सरकार विरोधी आंदोलन के दौरान मारे गए थे. अंतरिम सरकार ने 17 सितंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों की याद में शोक दिवस घोषित किया है. जेन-जी समूहों के प्रदर्शन के दौरान 59 प्रदर्शनकारी, 10 कैदी और तीन पुलिसकर्मी मारे गए थे.

मुआवजा और बलिदानी का दर्जा:
सरकार ने विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजे के रूप में 15 लाख नेपाली रुपये देने की भी घोषणा की है. गृह मंत्री ने बताया कि प्रत्येक शोक संतप्त परिवार को मुआवजे के रूप में 10 लाख नेपाली रुपये और अन्य खर्चों के लिए पांच लाख नेपाली रुपये दिए जाएंगे. प्रधानमंत्री कार्की ने यह भी कहा कि 8 और 9 सितंबर को विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों को बलिदानी का दर्जा दिया जाएगा. सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस मामले की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय न्यायिक जांच आयोग गठित करने का निर्णय लिया गया.

नेपाल में जेन-जी का बढ़ता प्रभाव:
नेपाल में जेन-जी ने वीडियो गेमर्स के बीच लोकप्रिय इंटरनेट मीडिया ऐप का कुशलतापूर्वक उपयोग कर आंदोलन को संगठित किया और तत्कालीन सरकार को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया. “हामी नेपाल” (हम नेपाल हैं) के संस्थापक सुदान गुरुंग ने डिस्कार्ड मैसेजिंग ऐप और इंस्टाग्राम का उपयोग करके बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों को संगठित किया. उन्होंने प्रतिबंधित इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म तक पहुंचने के लिए वीपीएन का भी इस्तेमाल किया, जिससे उनके संदेश हजारों युवाओं तक पहुंच सके. अब सुदान और उनकी टीम ने कैबिनेट में युवाओं की भागीदारी पर जोर दिया है. सुदान और हामी नेपाल के सदस्यों ने राष्ट्रपति और सेना प्रमुख को सुशीला कार्की को नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए राजी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हालांकि, गुरुंग और उनकी टीम ने कैबिनेट पद नहीं लेने का संकल्प लिया है, लेकिन वे भविष्य में निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहते हैं.

 

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