पटना, बिहार: बिहार में आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायतें सामने आ रही हैं, जिसने चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुंगेर जिले के इटहरी पंचायत में ग्रामीण चिकित्सक डॉ. सुनील पांच दर्जन से अधिक गरीब ग्रामीणों के साथ मतदाता सूची में हुई गड़बड़ी को दूर करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि जिन लोगों ने 2000 में विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदान किया था, उनके नाम भी प्रारूप सूची से गायब हैं। कल्यापुर टोला, महेशपुर, नाथ टोला, पेरू मंडल टोला और विजय नगर जैसी दर्जनों बस्तियों में यही स्थिति है।
दूसरी ओर, अररिया के काली मंदिर चौक पर फास्ट फूड की दुकान चलाने वाले पवन शर्मा का कहना है कि सीमांचल में वही लोग हंगामा कर रहे हैं जिन्होंने गलत तरीके से मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराया था। इन विरोधाभासी स्थितियों के बीच, एक विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की आवश्यकता महसूस की जा रही है, जिस पर पूरे बिहार में मिश्रित प्रतिक्रियाएं और मनोभाव देखने को मिल रहे हैं।
शुक्रवार को जब राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ बेतिया से गुजर रही थी, उसी समय सागर पोखरा चौक पर बीएलओ राजेश कुमार मतदाता सूची में पांच-छह लोगों के नाम संशोधित करने की प्रक्रिया में व्यस्त थे। वहीं, थोड़ी दूर एक चाय की दुकान पर अशोक सिंह ने दावा किया कि कई स्थानों पर फर्जी नाम दर्ज हैं और कुछ क्षेत्रों में तो फर्जी मतदाताओं का वर्चस्व है।
राहुल गांधी के आरोपों को लेकर भी बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोग उनके आरोपों को बचकाना मानते हुए कहते हैं कि निर्वाचन आयोग नवादा और सासाराम से संबंधित उनके दो उदाहरणों को साक्ष्य के साथ गलत सिद्ध कर चुका है।
हालांकि, इन आरोप-प्रत्यारोपों से इतर एक सच्चाई यह भी है कि उन महिलाओं का नाम मतदाता सूची में नहीं जुड़ पा रहा है जो नेपाल से ब्याह कर आई हैं। नेपाल के साथ ‘रोटी-बेटी’ के संबंध की दुहाई देते हुए सीमावर्ती क्षेत्र के लोग इस स्थिति को लेकर चिंतित हैं। शिक्षक दिलीप कुमार इसे प्रक्रियागत विसंगति का बड़ा कारण बताते हैं। उनका कहना है कि 2003 से पहले जो महिलाएं ब्याह कर आईं, उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन नई-नवेली महिलाओं के लिए नाम और पहचान का संकट पैदा हो गया है। इनमें से अधिकांश परिवार एनडीए के समर्थक हैं।
एक स्थानीय राजद नेता, जिनका नाम बताना उचित नहीं होगा, इस स्थिति से प्रफुल्लित हैं। जिन जिलों से मतदाता सूची में अधिक नाम काटे गए हैं, उनमें मधुबनी, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी और दरभंगा जैसे नेपाल के सीमावर्ती जिले शामिल हैं। इन जिलों से विधानसभा की 60 प्रतिशत सीटें वर्तमान में एनडीए के खाते में हैं।
अपनी यात्रा के दौरान राहुल गांधी का मुख्य आरोप मतदाता सूची में हेराफेरी का है। मुजफ्फरपुर के कन्हैया जायसवाल इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछते हैं कि सीमांचल में जहां एसआईआर को लेकर सबसे अधिक हाय-तौबा थी, वहां उन क्षेत्रों से कम नाम कटे हैं जिन्हें एनडीए, विशेषकर भाजपा का गढ़ माना जाता है। अरेराज के दीपक द्विवेदी कहते हैं कि इन जिलों के सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषण से ऐसा नहीं लगता कि मतदाताओं के नाम किसी पूर्वाग्रह के तहत हटाए गए हैं। कुल मिलाकर, मतदाता सूची में गड़बड़ी का यह मुद्दा बिहार में आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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