शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान कृषि उपज विपणन समिति (APMC) शिमला और किन्नौर में दुकानों के आवंटन का मुद्दा प्रमुखता से उठा। इस दौरान विपक्षी दल भाजपा ने मामले में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए सदन में जोरदार हंगामा किया और नारेबाजी करते हुए वॉकआउट कर दिया।
विपक्षी भाजपा सदस्यों ने इस कथित धांधली की विजिलेंस या न्यायिक जांच की मांग की, जबकि कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि दुकानों का आवंटन पूरी तरह से पारदर्शी और निर्धारित प्रक्रिया के तहत हुआ है।
भाजपा ने उठाए सवाल, लगाए अनियमितताओं के आरोप
भाजपा विधायक सुधीर शर्मा (धर्मशाला) और रणधीर शर्मा (श्री नयना देवी) ने मूल प्रश्न उठाते हुए आरोप लगाया कि शिमला और किन्नौर में दुकानों के आवंटन में “भारी अनियमितताएं” हुई हैं।[ रणधीर शर्मा ने अपने अनुपूरक सवाल में दावा किया कि शिमला में 70 दुकानों के लिए 133 आवेदन आए थे, जिनमें से 63 आवेदनों को “मनमाने ढंग से रद्द” कर दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि जांच केवल औपचारिकता बनकर रह गई, लेकिन आवंटन रद्द नहीं किए गए और 2021 की नीति की भी अवहेलना हुई।
कृषि मंत्री ने किया आरोपों का खंडन, बताई पारदर्शी प्रक्रिया
इन आरोपों का जवाब देते हुए कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने स्पष्ट किया कि पराला में 34, शिलारू में 28 और टूटू में 3 दुकानें आवंटन के लिए रखी गई थीं। उन्होंने बताया कि इनके लिए बकायदा टेंडर जारी किए गए थे और सभी आवेदनों की पूरी छानबीन की गई। मंत्री ने जोर देकर कहा कि केवल उन्हीं आवेदनों को रद्द किया गया जिनमें आवश्यक दस्तावेज पूरे नहीं थे।
उन्होंने स्पष्ट किया कि आवंटन पूरी तरह से 2021 की नीति के अनुसार हुआ है और इसमें किसी भी तरह की धांधली नहीं की गई है। मंत्री ने कहा कि भाजपा के विधायक “बिना तथ्यों के हवा में आरोप लगा रहे हैं” और आवंटन को रद्द करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।
अधिकारियों के तबादले पर भी उठे सवाल
भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने कृषि मंत्री के जवाब पर सवाल उठाते हुए पूछा कि यदि आवंटन में कोई गड़बड़ी नहीं हुई थी तो संबंधित अधिकारियों का तबादला क्यों किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों को बदलना इस बात का प्रमाण है कि सरकार कुछ छिपा रही है और इस पूरे मामले की न्यायिक जांच करवाई जानी चाहिए। इस पर मंत्री ने फिर दोहराया कि अधिकारियों का तबादला सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है और इसमें भ्रष्टाचार का कोई मामला नहीं है।
वहीं, भाजपा विधायक बलबीर वर्मा ने पराला मंडी में दुकानों के आवंटन को लेकर विजिलेंस जांच की मांग उठाई। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय बागवानों को दुकानों में प्राथमिकता नहीं दी गई और इसमें “भारी घोटाला” हुआ है। इस पर कृषि मंत्री ने एक बार फिर कहा कि भाजपा विधायक केवल हवा में बातें कर रहे हैं और यदि वे लिखित रूप में कोई ठोस तथ्य देंगे तो उनकी छानबीन जरूर की जाएगी।
जवाब से असंतुष्ट विपक्ष का वॉकआउट, संसदीय कार्य मंत्री का पलटवार
मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायक सदन में जोरदार नारेबाजी करने लगे और आखिरकार सदन से वॉकआउट कर गए।
विपक्ष के वॉकआउट के बाद संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने भाजपा पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष “बिना तथ्यों के झूठे आरोप लगा रहा है”। चौहान ने कहा कि जब भाजपा सत्ता में थी, तब जमीनें “कौड़ियों के भाव बेची गईं” और प्रगतिनगर में गत्ता फैक्टरी मात्र 90 लाख रुपये में बेची गई थी। उन्होंने कहा कि ऐसे में भाजपा को दूसरों पर बेबुनियाद आरोप लगाने से पहले अपने कार्यकाल की ओर देखना चाहिए।
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