मंडी: हिमाचल प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के लिए एक “पहाड़ जैसी चुनौती” खड़ी कर दी है, जिससे निपटना आसान नहीं होगा। भारी बारिश और बाढ़ के कारण कीरतपुर-मनाली फोरलेन का पंडोह से मनाली तक का खंड, जो मात्र दो वर्ष पूर्व ही निर्मित हुआ था, उसका अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है। अब इस मार्ग का नए सिरे से ही निर्माण करना पड़ेगा।
भारी वर्षा और भूस्खलन से एनएचएआई को अब तक 1000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। वर्ष 2023 की आपदा के मुकाबले इस बार का नुकसान चार गुना अधिक है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। ब्यास नदी में सोमवार देर रात आई बाढ़ से कुल्लू से मनाली तक का मार्ग छह स्थानों पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है। इन स्थानों तक मशीनरी पहुंचाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती बन गया है।
मार्ग जगह-जगह क्षतिग्रस्त हुआ है। “बिंदु ढांक” में तो मार्ग का नामोनिशान ही नहीं बचा है। इसके अलावा, 15 मील, रायसन, लग्जरी बस स्टैंड मनाली और डोहलू टोल बैरियर के पास मार्ग का एक बड़ा भाग ब्यास नदी में बह गया है। “बिंदु ढांक” तक आज दोपहर बाद तक मशीनरी पहुंचने की उम्मीद है, जिसके बाद ही बड़े पैमाने पर बहाली का काम शुरू हो पाएगा।
एनएचएआई ने मार्ग बहाली के लिए 20 पोकलेन मशीनें लगाई हैं। वहीं, मंडी के दवाड़ा और झलोगी में भी मौसम अनुकूल होते ही और ब्यास नदी का जलस्तर कम होते ही एनएचएआई ने मार्ग बहाली का काम शुरू कर दिया है। झलोगी में मार्ग का एक बड़ा भाग भूस्खलन के कारण जमींदोज हो गया है, जबकि दवाड़ा में ब्यास नदी का पानी मार्ग पर आने से भारी क्षति हुई है। इन स्थानों पर चट्टानों को मशीनों से तोड़ा जा रहा है ताकि मार्ग को फिर से खोला जा सके।
अगर मौसम अनुकूल रहा तो वीरवार दोपहर बाद तक मार्ग बहाल होने की उम्मीद है। पंडोह से औट के बीच पिछले दो दिनों से सैकड़ों वाहन और लोग जगह-जगह फंसे हुए हैं, जिससे उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पंडोह-टकोली खंड में भी मार्ग बहाली के लिए 30 से अधिक मशीनें लगाई गई हैं। एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी और इंजीनियर मौके पर डटे हुए हैं और लगातार काम की निगरानी कर रहे हैं।
एनएचएआई मंडी के परियोजना निदेशक, वरुण चारी ने बताया कि पंडोह से मनाली तक मार्ग बहाली का काम युद्ध स्तर पर शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में मशीनरी लगाई गई है, लेकिन भूस्खलन, बाढ़ और भारी वर्षा से नुकसान बहुत अधिक हुआ है। यह स्थिति हिमाचल प्रदेश के पर्यटन और परिवहन के लिए एक बड़ा झटका है, और मार्ग को पूरी तरह से बहाल करने में काफी समय और संसाधन लगेंगे।
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