नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर देश में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। इसी कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘इंडी गठबंधन’ के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को लेकर कांग्रेस पर बड़ा हमला किया है। शाह ने आरोप लगाया है कि वामपंथी नक्सलियों के समर्थक को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है।
अमित शाह ने इस बात पर जोर दिया कि उपराष्ट्रपति के चुनाव को ‘साउथ बनाम साउथ’ के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि देश का उपराष्ट्रपति किसी भी राज्य से आ सकता है। उन्होंने इस तरह की सोच को अनुचित बताया।
‘केरल में खत्म हुई कांग्रेस की जीत की संभावना’
कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि ‘इंडी गठबंधन’ के इस कदम से केरल में कांग्रेस की जीत की जो “बची कुची संभावना थी वो भी खत्म हो गई”। उन्होंने अपने आरोप को विस्तार देते हुए कहा कि विपक्ष के प्रत्याशी सुदर्शन रेड्डी वही सज्जन हैं, जिन्होंने वामपंथी उग्रवाद को मदद करने के लिए ‘सलवा जुडूम’ का जजमेंट दिया था। शाह का दावा था कि अगर यह जजमेंट न दिया गया होता तो वामपंथी नक्सलवाद 2020 तक खत्म हो गया होता। उन्होंने दोहराया कि ये वही सज्जन हैं, जिन्होंने विचारधारा से प्रेरित होकर सलवा जुडूम का जजमेंट दिया था।
अमित शाह ने याद दिलाया कि केरल ने नक्सलवाद का दंश झेला है। उन्होंने कहा, “केरल की जनता निश्चित रूप से देखेगी कि कांग्रेस पार्टी, वामपंथी दलों के दबाव में एक ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतार रही है जिसने नक्सलवाद का समर्थन किया और सुप्रीम कोर्ट जैसे पवित्र मंच का इस्तेमाल किया।”
सुदर्शन रेड्डी का ‘सलवा जुडूम’ जजमेंट क्या था?
दिसंबर 2011 में, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रेड्डी ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। इस फैसले में उन्होंने कहा था कि माओवादी विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई में आदिवासी युवकों को विशेष पुलिस अधिकारी के रूप में इस्तेमाल करना – चाहे उन्हें ‘कोया कमांडो’ कहा जाए, सलवा जुडूम कहा जाए या किसी और नाम से – गैरकानूनी और असंवैधानिक है। उन्होंने अपने आदेश में यह भी कहा था कि उन्हें तुरंत निरस्त्र कर दिया जाए। अमित शाह के अनुसार, इसी फैसले को लेकर सुदर्शन रेड्डी पर वामपंथी उग्रवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया जा रहा है।
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