शिमला। बुधवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में रोजगार के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार हंगामा देखने को मिला। प्रश्नकाल के दौरान दोनों पक्षों के विधायकों के बीच कई बार नोकझोंक हुई, जिसके बाद जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्य सदन से बाहर भी चले गए।
भाजपा विधायकों विपिन सिंह परमार और सतपाल सिंह सत्ती के मूल प्रश्नों तथा नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और विधायक बिक्रम सिंह के अनुपूरक सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में ऐलान किया कि कांग्रेस ने चुनाव के दौरान प्रदेश की जनता से जो-जो भी वादे किए हैं, वे सभी पांच साल के भीतर पूरे किए जाएंगे। उन्होंने विशेष रूप से दोहराया कि प्रदेश की बहनों को 1500 रुपये प्रति माह देने का वादा भी पूरा किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने रोजगार के मुद्दे पर सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि लोकसेवा और राज्य चयन आयोग के माध्यम से जो भी उम्मीदवार चयनित होकर आएंगे, उन्हें दो साल के बाद नियमित कर दिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) का नाम ही बदलकर ‘ट्रेनी’ किया गया है और यह बदलाव कोर्ट के आदेश पर किया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार ने विभिन्न विभागों में कुल 5960 नए पद सृजित किए हैं। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछली सरकार ने केवल राजनीतिक लाभ के लिए संस्थान खोले, लेकिन न तो उनमें पद सृजित किए और न ही भरे। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी सरकार ऐसा नहीं करेगी।
रोजगार के आंकड़ों का विस्तृत विवरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केवल शिक्षा विभाग में ही सात हजार पद भरे गए हैं। इसके अतिरिक्त, पांच हजार पंप ऑपरेटर और 1100 नर्सों के पद भरे गए हैं, जबकि कई अन्य पदों को भरने का मामला आयोग को भेजा गया है। उन्होंने बताया कि 200 डॉक्टरों के पदों का परिणाम भी जल्द घोषित होने वाला है। एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि 6200 एनटीटी (नर्सरी टीचर ट्रेनिंग) शिक्षकों को दो माह के भीतर नियुक्ति दे दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के युवाओं को विदेशों में रोजगार मुहैया कराने की सरकार की पहल पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस संबंध में यूरोप और जापान की एंबेसी से बातचीत चल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार से इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन को इसका लाइसेंस मिल गया है और सऊदी अरब में कुछ युवाओं को रोजगार दिलवाया भी जा चुका है। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि इस साल नौकरियों की भरमार रहेगी। उन्होंने बताया कि निजी क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए हैं और विदेशों में रोजगार के लिए एक ‘ओवरसीज रोजगार विभाग’ बनाया गया है, जिसके माध्यम से विदेश गए युवाओं पर सरकार नजर रख रही है।
इससे पहले, भाजपा सदस्य विपिन सिंह परमार ने सरकार द्वारा दिए गए रोजगार के आंकड़ों में विरोधाभास का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष उनके सवाल के जवाब में 34980 को रोजगार देने की बात कही गई थी, जबकि 15 अगस्त को मुख्यमंत्री ने 23191 को रोजगार देने का आंकड़ा बताया। उन्होंने इस अंतर पर मुख्यमंत्री से प्रदेश के युवाओं से माफी मांगने की मांग की। परमार ने यह भी पूछा कि कांग्रेस ने चुनाव के दौरान पांच साल में पांच लाख रोजगार देने का वादा किया था, तो इस हिसाब से ढाई वर्ष में ढाई लाख रोजगार क्यों नहीं मिले।
उधर, भाजपा सदस्य बिक्रम ठाकुर ने भी पिछले वर्ष के रोजगार के आंकड़े (35 हजार) से वर्तमान आंकड़े (23 हजार) में कमी आने का कारण पूछा। उन्होंने 58 साल की पक्की नौकरी के कांग्रेस के वादे पर भी सवाल उठाया। सतपाल सिंह सत्ती ने कांग्रेस पर जनता को गुमराह कर सत्ता पाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे लोकतंत्र कमजोर होता है। उन्होंने पूछा कि क्या अनुबंध प्रथा को ‘ट्रेनी’ में बदला गया है, उसे दोबारा वापस लिया जाएगा?
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार पर सदन में ‘असत्य’ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि जो आंकड़े गिनाए जा रहे हैं, उनमें से कितने पद पिछली सरकार के समय सृजित थे और भर्ती के लिए प्रक्रियाधीन थे। उन्होंने कांग्रेस से अपने चुनावी घोषणापत्र के अनुसार पांच साल में पांच लाख नौकरियां देने के वादे पर भी स्पष्टीकरण मांगा।
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विपक्ष न केवल परेशान है, बल्कि भ्रमित भी है। उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी कि यदि वे झूठ बोल रहे हैं, तो उनके खिलाफ प्रिविलेज मोशन लाया जाए। उन्होंने देहरा से विधायक कमलेश की पेंशन के बजाय सैलरी लगने और भाजपा की ‘दया’ से लगी सैलरी का भी जिक्र किया, जिस पर उन्होंने कहा कि अगर ऐसी ही ‘दया’ रही तो कई महिलाओं को लगेगी। इस प्रकार, रोजगार के मुद्दे पर हिमाचल विधानसभा का सत्र गर्मागर्म बहस का गवाह बना।