नई दिल्ली। यूनाइटेड किंगडम (यूके) में नस्लीय घृणा का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ तीन युवाओं ने सिख समुदाय के दो बुजुर्ग लोगों पर सरेआम हमला किया। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें हमलावरों को बीच सड़क पर सिखों के साथ मारपीट करते हुए देखा जा सकता है। इस दौरान एक सिख व्यक्ति की पगड़ी भी जबरन उतार दी गई, जो सिख धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाती है और उनके सम्मान का प्रतीक है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना यूके के वॉल्वरहैम्प्टन रेलवे स्टेशन के पास की बताई जा रही है। वीडियो में दिख रहा है कि कैसे तीन युवक अचानक सिखों पर हमला कर देते हैं। स्थानीय पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को मौके से हिरासत में ले लिया। हालांकि, बाद में तीनों को जमानत पर रिहा कर दिया गया, जिस पर कई हलकों से चिंता व्यक्त की जा रही है।
सुखबीर बादल ने जताई कड़ी नाराजगी, विदेश मंत्री से हस्तक्षेप की मांग
शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने इस घटना पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की है। उन्होंने केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से इस गंभीर मामले को यूके सरकार के सामने मजबूती से उठाने की मांग की है। बादल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने लिखा, “मैं यूके में दो बुजुर्ग सिखों पर हुए इस भयानक हमले की सख्त निंदा करता हूं। इस दौरान एक सिख की पगड़ी जबरन उतारी गई। सबका भला चाहने वाले सिख समुदाय के खिलाफ इस तरह की नफरत भेदभाव पूर्ण मानसिकता को दर्शाती है।”
सुखबीर बादल ने अपनी पोस्ट में आगे कहा, “मैं यूके के गृह मंत्रालय और पुलिस से गुजारिश करता हूं कि पीड़ितों को न्याय दिलाया जाए। साथ ही मैं केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से अपील करता हूं कि यह मामला यूके की संसद में उठाया जाए, जिससे यूके में सिख समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।” बादल की यह अपील भारत सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने और यूके में सिख समुदाय की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह करती है। यह घटना भारत और दुनिया भर में सिख समुदाय के बीच आक्रोश पैदा कर रही है, जो अपने धर्म और पहचान पर ऐसे हमलों को बर्दाश्त नहीं कर सकते।
यूके पुलिस की चेतावनी और जांच जारी
इस मामले की जांच कर रही ब्रिटिश पुलिस ने भी इस तरह के बर्ताव पर कड़ी चेतावनी जारी की है। पुलिस का कहना है कि वे किसी भी तरह के नस्लीय या घृणा-प्रेरित अपराध को बर्दाश्त नहीं करेंगे। पुलिस विभाग ने एक बयान जारी कर कहा, “इस तरह का व्यवहार हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमने मामले की जांच शुरू कर दी है। तीनों आरोपियों को मौके से गिरफ्तार किया गया था, उनसे पूछताछ जारी है।” पुलिस का यह बयान दर्शाता है कि वे इस घटना की गंभीरता को समझते हैं और दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, आरोपियों को जमानत पर रिहा किए जाने के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं, खासकर जब यह एक स्पष्ट नस्लीय घृणा अपराध प्रतीत होता है।
यह घटना यूके में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर सिखों के खिलाफ बढ़ती नस्लीय घृणा और भेदभाव की प्रवृत्ति को उजागर करती है। यह आवश्यक है कि यूके सरकार इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से ले और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए, ताकि सभी समुदायों के लोग सुरक्षित महसूस कर सकें और सम्मान के साथ रह सकें। भारत सरकार का हस्तक्षेप इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने और सिख समुदाय के अधिकारों और सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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