नई दिल्ली। देश ने आज अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस पूरे हर्षोल्लास और गौरव के साथ मनाया। इस ऐतिहासिक अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली स्थित लाल किले की प्राचीर से लगातार 11वीं बार तिरंगा फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया। अपने लगभग 90 मिनट के भाषण में उन्होंने ‘विकसित भारत’ के निर्माण का रोडमैप प्रस्तुत किया और देशवासियों, विशेषकर युवाओं को आत्मनिर्भरता का शक्तिशाली मंत्र दिया।
युवाओं के लिए ‘पीएम विकसित भारत रोजगार योजना’ की घोषणा
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में देश के युवाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने युवाओं के भविष्य को सुरक्षित और उज्ज्वल बनाने के लिए एक नई महत्वाकांक्षी योजना ‘पीएम विकसित भारत रोजगार योजना’ का ऐलान किया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य युवाओं को रोजगार के बेहतर और नए अवसर प्रदान करना है, ताकि वे राष्ट्र निर्माण में अपनी पूरी क्षमता से योगदान दे सकें। उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा, “आत्मनिर्भर बनने के लिए हमें सर्वश्रेष्ठ बनना होगा। यही समय की मांग है।” पीएम मोदी ने इसे केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकल्प बताया।
‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘अपनी लकीर बड़ी करें’ का मंत्र
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर ‘वोकल फॉर लोकल’ यानी स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के मंत्र को साकार करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने देश के सभी प्रभावशाली लोगों (इन्फ्लुएंसर्स) से आग्रह किया कि वे इस अभियान को आगे बढ़ाएं, क्योंकि यह किसी राजनीतिक दल का एजेंडा नहीं, बल्कि भारत को सशक्त बनाने का एक साझा मिशन है।
भविष्य की अर्थव्यवस्था पर बात करते हुए उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के युग का उल्लेख किया। उन्होंने ‘दाम कम, दम ज्यादा’ का मंत्र देते हुए कहा कि भारत को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनने के लिए उत्पादन की लागत को कम करना होगा और गुणवत्ता को बेहतर बनाना होगा।
अपने संबोधन का एक सबसे प्रभावशाली संदेश देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “हमें किसी की लकीर छोटी करने में अपनी ऊर्जा नहीं खपानी है, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी है।” उन्होंने समझाया कि नकारात्मक प्रतिस्पर्धा या दूसरों को नीचा दिखाने के बजाय, हमें अपनी क्षमताओं और उपलब्धियों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब हम अपनी लकीर लंबी करेंगे, तो दुनिया भी हमारी ताकत का लोहा मानेगी।
सुधारों के दशक से आगे का रास्ता
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीता दशक ‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म’ (सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन) का रहा है। इस मजबूत नींव पर अब देश को और अधिक ताकत और गति से आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा के इस दौर में संकटों पर रोने की बजाय हिम्मत से आगे बढ़ना ही सफलता का मार्ग है। अगर देशवासी एक सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ेंगे, तो कोई भी स्वार्थ हमें अपने जाल में नहीं फंसा पाएगा और देश प्रगति के पथ पर निरंतर अग्रसर रहेगा।
कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री का यह भाषण भविष्य के भारत के लिए एक स्पष्ट दिशा-निर्देश था, जिसमें आत्मनिर्भरता, युवा सशक्तिकरण और सकारात्मक प्रतिस्पर्धा पर जोर दिया गया ताकि 2047 तक ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार किया जा सके।
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