चंडीगढ़। चाइल्ड हेल्पलाइन पर मिली एक गुमनाम सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए, पंजाब के फरीदकोट जिले में एक 16 वर्षीय नाबालिग लड़की को बाल विवाह के बंधन में बंधने से बचा लिया गया। जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू) और अन्य संबंधित विभागों ने मिलकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया और जिले के संग्राहूर (सादिक) गांव में होने वाले इस बाल विवाह को सफलतापूर्वक रुकवा दिया।
पंजाब की सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने अधिकारियों और हितधारकों द्वारा की गई इस तेज कार्रवाई की सराहना की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नाबालिगों के अधिकारों की रक्षा के लिए बाल संरक्षण कानूनों का सख्ती से पालन किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
डॉ. बलजीत कौर ने बताया कि यह पूरी कार्रवाई किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के तहत की गई। बचाई गई नाबालिग लड़की को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश किया गया, जहाँ उसकी профессиональная काउंसलिंग की गई और समिति द्वारा आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए।
बाद में, किशोरी को उसके माता-पिता को सौंप दिया गया। हालांकि, इससे पहले माता-पिता से एक लिखित आश्वासन लिया गया कि वे अपनी बेटी की सुरक्षा, शिक्षा और उसके समग्र कल्याण को सुनिश्चित करेंगे। अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि बच्चे के सर्वोत्तम हितों की रक्षा के लिए मामले की नियमित रूप से निगरानी और फॉलो-अप किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि परिवार अपने वादे पर कायम है।
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, डॉ. बलजीत कौर ने कहा कि सरकार राज्य को “बाल विवाह मुक्त” बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जागरूकता पैदा करने, रोकथाम और कानूनों के प्रभावी प्रवर्तन के लिए व्यवस्था को मजबूत करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि राज्य के हर बच्चे को एक सुरक्षित और उज्ज्वल बचपन मिल सके।
मंत्री ने इस सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए आम जनता से भी पूरा सहयोग देने की अपील की। उन्होंने आग्रह किया कि यदि किसी को भी अपने आस-पास किसी बाल विवाह के होने की जानकारी मिलती है, तो वे तुरंत चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर इसकी सूचना दें। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सूचना देने वाले की पहचान पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी। यह घटना दर्शाती है कि एक जागरूक नागरिक की एक कॉल किसी बच्चे का भविष्य बचा सकती है।
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