Punjab: पंजाब सड़क सुरक्षा फोर्स की पहल सफल, सरकार ने 35,000 से ज्यादा जानें बचाने का किया दावा

चंडीगढ़। पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान सरकार द्वारा शुरू की गई ‘सड़क सुरक्षा फोर्स’ (SSF) के कारण सड़क हादसों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल जनवरी में अपने गठन के बाद से इस फोर्स ने 35,000 से अधिक लोगों की जानें बचाने में मदद की है और दुर्घटनाओं पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगाया है।

ऑपरेशन और प्रमुख उपलब्धियां

जनवरी 2024 में शुरू की गई इस विशेष फोर्स को राज्य के 4,100 किलोमीटर लंबे मुख्य मार्गों पर तैनात किया गया है। हर 30 किलोमीटर पर SSF की एक टीम मौजूद है, जिसका मुख्य उद्देश्य दुर्घटनाओं को रोकना और पीड़ितों को तत्काल सहायता प्रदान करना है।

टोयोटा हिलक्स और महिंद्रा स्कॉर्पियो जैसे हाई-टेक वाहनों से लैस ये टीमें हादसे की सूचना मिलते ही 5 से 7 मिनट के भीतर घटनास्थल पर पहुंच जाती हैं। घायल को तत्काल फर्स्ट एड देकर अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था की जाती है। इस फोर्स को स्पीड गन, बॉडी कैमरा, ई-चालान सिस्टम, मोबाइल डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी आधुनिक तकनीकों से लैस किया गया है, ताकि पुलिसिंग को स्मार्ट, तेज और पारदर्शी बनाया जा सके।

सरकार के अनुसार, SSF की तैनाती वाले क्षेत्रों में 2024 में अब तक स्कूल जाने या लौटने वाले किसी भी बच्चे की सड़क हादसे में मौत नहीं हुई है, जिसे एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

व्यापक भूमिका और सामाजिक प्रभाव

सड़क सुरक्षा के अलावा, SSF ने अन्य आपराधिक गतिविधियों पर भी लगाम कसी है। फोर्स ने नशे की तस्करी और वाहन चोरी के कई मामलों को सुलझाने में सफलता हासिल की है। इसके अतिरिक्त, आत्महत्या करने जा रहे 12 लोगों को समय पर बचाकर उनकी जान भी बचाई गई है।

फोर्स द्वारा देर रात यात्रा करने वाली महिला यात्रियों, स्कूली बच्चों और पर्यटकों को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाने जैसे मानवीय कार्य भी नियमित रूप से किए जा रहे हैं। इस पहल की एक और खास बात यह है कि फोर्स में 28 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सरकार का मानना है कि इस पहल के कई सकारात्मक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव भी देखने को मिले हैं, जिनमें अस्पतालों के खर्च में कमी, बीमा दावों में गिरावट, पर्यटन को बढ़ावा और ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार शामिल है। सरकार के मुताबिक, यह पहल “नई सोच वाले नए पंजाब” के दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य सरकारी प्रणालियों को अधिक जन-केंद्रित और प्रभावी बनाना है।

 

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