Delhi: अमेरिका के 25% शुल्क से निर्यात पर संकट, लेकिन दवा और इलेक्ट्रॉनिक्स को राहत

नई दिल्ली। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और आगामी चुनावों के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से होने वाले निर्यात पर 25 प्रतिशत का भारी टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की घोषणा कर दी है, जिससे भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में एक नया संकट खड़ा हो गया है। यह नया नियम 7 अगस्त से प्रभावी होगा, जिसके बाद अमेरिका में आयात होने वाले अधिकांश भारतीय उत्पादों पर 25% का शुल्क लगना शुरू हो जाएगा। इस कदम से भारत के निर्यात पर गहरा असर पड़ने की आशंका है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के अनुसार, इस घोषणा ने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को एक “उथल-पुथल भरे दौर” में धकेल दिया है। उनके त्वरित अनुमानों के मुताबिक, इस टैरिफ के कारण वित्त वर्ष 2026 में अमेरिका को होने वाला भारत का वस्तु निर्यात 30 प्रतिशत तक घट सकता है। यह वित्त वर्ष 2025 के 86.5 अरब डॉलर से घटकर 60.6 अरब डॉलर रह सकता है। यह टैरिफ भारत के लगभग 40 अरब डॉलर मूल्य के निर्यात को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा।

इन प्रमुख उत्पादों को मिली छूट

हालांकि, इस घोषणा में भारत के लिए एक बड़ी राहत की बात भी है। यह 25% टैरिफ सभी भारतीय उत्पादों पर लागू नहीं होगा। व्हाइट हाउस के कार्यकारी आदेश के विश्लेषण के बाद GTRI ने बताया है कि भारत के कुछ प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को इस शुल्क से छूट दी गई है। इन छूट प्राप्त उत्पादों में शामिल हैं:

  • फार्मास्यूटिकल्स: इसमें टैबलेट, इंजेक्शन, सिरप जैसे तैयार दवा उत्पाद और दवाओं के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (APIs) दोनों शामिल हैं।

  • इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर: कंप्यूटर, स्मार्टफोन, टैबलेट, सॉलिड-स्टेट ड्राइव (SSD), फ्लैट पैनल डिस्प्ले और इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) जैसे उच्च-तकनीकी उत्पाद इस टैरिफ के दायरे से बाहर रहेंगे।

  • ऊर्जा उत्पाद: कच्चा तेल, रिफाइंड फ्यूल, प्राकृतिक गैस (LNG), कोयला और बिजली भी छूट वाली श्रेणी में हैं।

प्रतिस्पर्धी देशों पर भी लगा शुल्क

ट्रंप प्रशासन ने यह कदम सिर्फ भारत के खिलाफ नहीं उठाया है, बल्कि अन्य देशों को भी निशाना बनाया है। भारत के प्रमुख निर्यात प्रतिस्पर्धी देशों जैसे बांग्लादेश, श्रीलंका, ताइवान और वियतनाम पर 20 प्रतिशत का शुल्क लगाया गया है। यह भारत के लिए थोड़ी राहत की बात हो सकती है, क्योंकि प्रतिस्पर्धी बाजार में टैरिफ का अंतर केवल 5 प्रतिशत का रहेगा।

कुल मिलाकर, ट्रंप का यह फैसला भारतीय निर्यातकों, विशेषकर छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए एक गंभीर चुनौती है। हालांकि, दवा, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को मिली छूट भारतीय अर्थव्यवस्था को एक बड़े झटके से बचाएगी और लगभग 40 अरब डॉलर के निर्यात को इस भारी शुल्क से सुरक्षित रखेगी। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत इस व्यापारिक चुनौती का सामना कैसे करता है।

 

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