देहरादून।
उत्तराखंड में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मतगणना की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। राज्य के 12 जिलों के 89 विकासखंडों में 10,915 पदों के लिए 34,151 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला बृहस्पतिवार, 31 जुलाई को होगा। सुबह आठ बजे से वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी, जिसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने सुरक्षा और पारदर्शिता के कड़े इंतजाम किए हैं।
15 हजार कर्मी और 9 हजार जवान संभालेंगे मोर्चा
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल कुमार गोयल ने बताया कि मतगणना प्रक्रिया को सुचारू और निष्पक्ष रूप से संपन्न कराने के लिए 15,024 कर्मचारियों को तैनात किया गया है। वहीं, कानून-व्यवस्था और सुरक्षा को चाक-चौबंद रखने के लिए 8,926 जवानों पर जिम्मेदारी होगी। यह विशाल प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्था यह सुनिश्चित करेगी कि मतगणना प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की कोई बाधा न आए। मतगणना की पूरी प्रक्रिया पर प्रेक्षक, जोनल मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पैनी नजर रखेंगे।
पारदर्शिता का आश्वासन, महिलाओं ने दिखाया उत्साह
आयोग ने आश्वस्त किया है कि जिस तरह दो चरणों में मतदान को स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराया गया, उसी तरह मतगणना भी पूरी पारदर्शिता के साथ की जाएगी। उल्लेखनीय है कि हरिद्वार जिले को छोड़कर राज्य के 12 जिलों में 24 और 28 जुलाई को हुए मतदान में कुल 69.16 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इसमें सबसे खास बात महिलाओं की बढ़-चढ़कर भागीदारी रही, जिनका मतदान प्रतिशत 74.42% था, जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत 64.23% रहा।
विजयी जुलूसों पर पूर्ण प्रतिबंध
मतगणना के दौरान और परिणाम घोषित होने के बाद कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आयोग ने कड़े कदम उठाए हैं। सबसे महत्वपूर्ण निर्णय विजयी जुलूसों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना है। आयोग ने सभी जिलों को लिखित निर्देश जारी कर कहा है कि किसी भी उम्मीदवार या उनके समर्थकों को विजय जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस निर्देश का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।
मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा के लिए आवश्यक बैरिकेडिंग की गई है और हर केंद्र पर एक वरिष्ठ व अनुभवी अधिकारी को जोनल मजिस्ट्रेट के रूप में तथा एक पुलिस क्षेत्राधिकारी या थाना प्रभारी स्तर के अधिकारी को अनिवार्य रूप से तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं।
रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद, इन्हें आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर भी प्रदर्शित किया जाएगा ताकि आम जनता तक जानकारी आसानी से पहुंच सके। कुल मिलाकर, राज्य निर्वाचन आयोग ने एक विशाल और जटिल चुनावी प्रक्रिया के अंतिम चरण के लिए कमर कस ली है, ताकि लोकतंत्र का यह पर्व शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से संपन्न हो सके।
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