नई दिल्ली।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की एक अहम रिपोर्ट ने पहलगाम आतंकी हमले में आतंकवादी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) की भूमिका की पुष्टि कर दी है। यह रिपोर्ट भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है क्योंकि यह न केवल पाकिस्तान के आतंकी चरित्र को उजागर करती है, बल्कि यह ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान खुद UNSC की अध्यक्षता कर रहा है। अमेरिका के बाद अब संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट ने भी TRF और उसके पाकिस्तानी आकाओं के नापाक मंसूबों से पर्दा उठा दिया है।
यूएनएससी की 1267 प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक पर्यटक स्थल पर हुए हमले में 26 नागरिक मारे गए थे। हमले की जिम्मेदारी तुरंत टीआरएफ ने ली थी और घटनास्थल की तस्वीरें भी प्रकाशित की थीं। हालांकि, कुछ दिनों बाद संगठन ने अपना दावा वापस ले लिया, लेकिन किसी अन्य समूह ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली।
रिपोर्ट में पाकिस्तान पर परोक्ष निशाना
रिपोर्ट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा वह है जहाँ यह परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा करती है। इसमें उल्लेख है कि एक सदस्य देश (स्पष्ट रूप से पाकिस्तान) ने टीआरएफ के लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के साथ संबंधों को खारिज करने की कोशिश की और दलील दी कि लश्कर अब निष्क्रिय हो चुका है। इसके विपरीत, रिपोर्ट में अन्य सदस्य देशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह हमला लश्कर के समर्थन के बिना संभव नहीं था और टीआरएफ, लश्कर का ही एक रूप है। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इसे पाकिस्तान के दोहरे चरित्र का पर्दाफाश बताया है।
भारत की कूटनीतिक सफलता
यह रिपोर्ट पाकिस्तान की कूटनीतिक हार है, खासकर इसलिए क्योंकि यह जुलाई, 2025 में उसकी अध्यक्षता के दौरान ही सार्वजनिक हुई है। यह रिपोर्ट पाकिस्तान के विदेश मंत्री के उस दावे को भी झूठा साबित करती है जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके प्रयासों से यूएनएससी के बयान से टीआरएफ का नाम हटा दिया गया था। अब संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक रिपोर्ट में टीआरएफ का नाम आना भारत के पक्ष को मजबूती देता है। कुछ दिन पहले ही अमेरिका ने भी टीआरएफ को एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन घोषित किया था।
पाकिस्तान की नई आतंकी रणनीति का खुलासा
भारतीय खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, पाकिस्तान अपनी सेना के इशारे पर लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को टीआरएफ या ‘पीपल्स अगेंस्ट फासिस्ट फ्रंट’ जैसे नए नामों से दोबारा खड़ा कर रहा है, ताकि कश्मीर में आतंकवाद को एक स्थानीय आंदोलन के रूप में दिखाया जा सके।
भारत वर्ष 2023 से ही वैश्विक मंचों पर इस रणनीति को उजागर करने के लिए प्रयासरत है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी संसद में यह मुद्दा उठाया था। भारत ने अमेरिका और फ्रांस जैसे मित्र देशों के सहयोग से यूएनएससी के सदस्यों को टीआरएफ की असलियत के बारे में लगातार जानकारी दी है, जिसके परिणाम अब इस रिपोर्ट के रूप में सामने आ रहे हैं।