चंडीगढ़:
पंजाब को नशा मुक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा शुरू किए गए ‘युद्ध नशेयां विरुद्ध’ (नशे के खिलाफ युद्ध) अभियान के 149वें दिन भी पंजाब पुलिस ने अपनी ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी रखी। सोमवार को राज्य भर में 381 संदिग्ध ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई, जिसमें 57 एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज कर 80 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया। इस ताजा कार्रवाई के साथ ही, इस महाअभियान के तहत 149 दिनों में गिरफ्तार किए गए कुल नशा तस्करों की संख्या बढ़कर 23,726 हो गई है।
इन छापों के परिणामस्वरूप, गिरफ्तार किए गए नशा तस्करों के कब्जे से 255 ग्राम हेरोइन, 1218 नशीली गोलियां/इंजेक्शन और 10,760 रुपये की ड्रग मनी बरामद की गई। यह ऑपरेशन पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पंजाब गौरव यादव के निर्देशों पर राज्य के सभी 28 पुलिस जिलों में एक साथ चलाया गया था।
बड़े पैमाने पर हुई कार्रवाई
विशेष डीजीपी (कानून एवं व्यवस्था) अर्पित शुक्ला ने अभियान की जानकारी देते हुए बताया कि इस दिन भर चले ऑपरेशन में 83 राजपत्रित (गजेटेड) अधिकारियों की देखरेख में 1100 से अधिक पुलिसकर्मियों वाली 180 से अधिक पुलिस टीमों ने हिस्सा लिया। इन टीमों ने न केवल छापेमारी की, बल्कि इस दौरान 427 संदिग्ध व्यक्तियों की जांच भी की, ताकि नशे के नेटवर्क की हर कड़ी को तोड़ा जा सके।
सरकार की त्रि-आयामी रणनीति
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने पुलिस आयुक्तों, उपायुक्तों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को पंजाब को नशा मुक्त राज्य बनाने का स्पष्ट निर्देश दिया है। सरकार केवल कार्रवाई पर ही नहीं, बल्कि एक समग्र नीति पर काम कर रही है। नशे के खिलाफ इस युद्ध की निगरानी के लिए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा के नेतृत्व में 5 सदस्यीय कैबिनेट उप-समिति का भी गठन किया गया है, जो अभियान की प्रगति पर नजर रखती है।
विशेष डीजीपी अर्पित शुक्ला ने बताया कि राज्य सरकार ने नशे को जड़ से खत्म करने के लिए एक त्रि-आयामी रणनीति— प्रवर्तन (Enforcement), नशा मुक्ति (Deaddiction) और रोकथाम (Prevention) (EDP) —लागू की है। प्रवर्तन के तहत पुलिस तस्करों पर कार्रवाई कर रही है, जबकि रोकथाम के तहत लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
मानवीय पहलू पर भी जोर
इस अभियान का एक महत्वपूर्ण मानवीय पहलू भी है। ‘नशा मुक्ति’ की रणनीति के तहत, पंजाब पुलिस ने सोमवार को 41 ऐसे लोगों को सफलतापूर्वक नशा छुड़ाने और पुनर्वास उपचार के लिए राजी किया, जो नशे की लत के शिकार थे। यह दर्शाता है कि सरकार का उद्देश्य केवल तस्करों को पकड़ना ही नहीं, बल्कि नशे के पीड़ितों को समाज की मुख्यधारा में वापस लाना भी है। सरकार की यह दोहरी कार्रवाई दर्शाती है कि नशे के कारोबार में लिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और पंजाब को पूरी तरह से नशा मुक्त बनाने तक यह अभियान इसी सख्ती और मानवीय दृष्टिकोण के साथ जारी रहेगा।