नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए जल्द ही एक जांच समिति के गठन की घोषणा हो सकती है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस तीन सदस्यीय समिति का ऐलान कर सकते हैं। यह कदम 152 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित एक नोटिस के बाद उठाया जा रहा है, जिसे संसद के दोनों सदनों में पेश किया गया था।
सूत्रों के मुताबिक, इस मामले पर उच्च स्तरीय परामर्श प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और समिति के गठन की दिशा में कार्यवाही आगे बढ़ रही है। यह भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और दुर्लभ प्रक्रिया है, जो किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ लगे आरोपों की संसदीय जांच से संबंधित है।
क्या है पूरा मामला?
यह प्रक्रिया 21 जुलाई को शुरू हुई जब 152 सांसदों के हस्ताक्षर वाला एक नोटिस लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और तत्कालीन राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपा गया। इनमें 63 विपक्षी सांसद राज्यसभा से थे। न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, जब संसद के दोनों सदनों में इस तरह का नोटिस प्रस्तुत किया जाता है, तो आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन करना अनिवार्य हो जाता है। एक बार प्रस्तुत होने के बाद यह नोटिस सदन की संपत्ति माना जाता है।
कैसे गठित होगी जांच समिति?
न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के तहत, आरोपों की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जाता है। इस समिति की संरचना इस प्रकार होती है:
-
भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) या सुप्रीम कोर्ट के कोई अन्य न्यायाधीश।
-
किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश।
-
एक प्रतिष्ठित न्यायविद।
प्रक्रिया के अनुसार, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति के साथ परामर्श के बाद समिति का गठन करते हैं। उम्मीद है कि स्पीकर ओम बिरला भारत के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर पैनल के लिए दो न्यायाधीशों (सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट से) के नामों की सिफारिश करने का अनुरोध करेंगे। वहीं, समिति के तीसरे सदस्य, यानी प्रतिष्ठित न्यायविद का चयन करना अध्यक्ष का विशेषाधिकार होता है।
उच्च स्तरीय विचार-विमर्श जारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए, नोटिस सौंपे जाने के बाद से ही इस पर उच्च स्तरीय विचार-विमर्श चल रहा है। इस प्रक्रिया में गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश जैसे वरिष्ठ नेता शामिल रहे हैं, ताकि भविष्य की कार्रवाई की रूपरेखा तय की जा सके।
सोमवार को राज्यसभा में जगदीप धनखड़ ने भी न्यायाधीश (जांच) अधिनियम का हवाला देते हुए पुष्टि की थी कि जब दोनों सदनों में नोटिस दिया जाता है, तो लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति मिलकर समिति का गठन करते हैं। समिति का गठन इस प्रक्रिया का पहला महत्वपूर्ण कदम होगा, जो न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ लगाए गए आरोपों की गहनता से पड़ताल करेगी और अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपेगी।