उप-हेडिंग: विभाग सिर्फ खर्च नहीं, परिणाम भी दिखाएं; मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने को बायो-फेंसिंग के लिए 200 करोड़ का होगा प्रावधान
देहरादून।
मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने गुरुवार को सचिवालय में विभिन्न विभागों के पूंजीगत व्यय की धीमी प्रगति पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि सितंबर माह तक पूंजीगत बजट का 50 प्रतिशत खर्च हर हाल में सुनिश्चित किया जाए। समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई कि वित्तीय वर्ष के पहले चार महीनों में कुल बजट का मात्र 7.11 प्रतिशत ही खर्च हो पाया है।
बैठक के दौरान 12 विभागों के कामकाज की समीक्षा की गई। बताया गया कि इस वित्तीय वर्ष में पूंजीगत व्यय के लिए कुल ₹14763 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसमें से ₹2215 करोड़ (15 प्रतिशत) की राशि जारी की जा चुकी है, लेकिन अब तक केवल ₹1049 करोड़ (7.11 प्रतिशत) ही व्यय हुआ है।
खर्च के साथ परिणाम पर भी हो फोकस
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को केवल खर्च करने पर नहीं, बल्कि उसके परिणाम (Outcome) पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विभागों को केपीआई (की-परफॉरमेंस इंडिकेटर) और केओआई (की-आउटकम इंडिकेटर) पर फोकस करने को कहा।
उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि पर्यटन विभाग यह बताए कि उसके खर्च से विदेशी पर्यटकों की संख्या में कितने प्रतिशत की वृद्धि हुई, या पर्यटकों के औसत ठहराव में कितनी बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह, उन्होंने उद्यान विभाग को अपनी क्षमता बढ़ाने, कोल्ड चेन विकसित करने, ऑफ-सीजन उत्पादन, पॉलीहाउस प्रोजेक्ट, वैल्यू एडिशन और फूड प्रोसेसिंग पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिए।
मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने को 200 करोड़ की बायो-फेंसिंग
बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मुख्य सचिव ने कृषि विभाग को मानव-वन्यजीव संघर्ष से फसलों को बचाने के लिए बायो-फेंसिंग और चेन-लिंक फेंसिंग की गाइडलाइन्स शीघ्र तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने इसके लिए एक अलग बजट हेड खोलने को कहा और इस वित्तीय वर्ष में सप्लीमेंट्री बजट में इसके लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चयन समिति के माध्यम से उन स्थानों को प्राथमिकता दी जाए जहां मानव-वन्यजीव संघर्ष और फसलों का नुकसान सबसे अधिक है।
विभागों को दिए अन्य महत्वपूर्ण निर्देश
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सभी विभाग 15 अगस्त तक अपने सभी प्रस्ताव भेज दें।
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लक्ष्यों को समय पर हासिल करने के लिए संबंधित सचिव एवं विभागाध्यक्ष हर 15 दिन में बैठकें करें।
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पूंजीगत व्यय में मुख्यमंत्री घोषणाओं को प्राथमिकता दी जाए।
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दुग्ध विकास विभाग ‘आंचल’ के डेयरी उत्पादों को बढ़ाए।
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गन्ना विकास विभाग चीनी मिलों की मशीनों की मरम्मत का कार्य समय पर पूरा कर पेराई सत्र समय से शुरू करे।