Pakistan: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की मार के बाद शहबाज शरीफ ने की भारत से बातचीत की पेशकश

इस्लामाबाद। भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत की गई करारी सैन्य कार्रवाई के कुछ ही महीनों बाद पाकिस्तान ने एक बार फिर शांति और बातचीत का राग अलापा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को कहा कि उनका देश भारत के साथ सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए “सार्थक वार्ता” करने को तैयार है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में दोनों देशों के बीच गंभीर सैन्य तनाव देखने को मिला था, जिसमें भारत का पलड़ा भारी रहा था।

शरीफ ने यह टिप्पणी पाकिस्तान में ब्रिटिश उच्चायुक्त जेन मैरियट के साथ एक मुलाकात के दौरान की। जेन मैरियट प्रधानमंत्री आवास पर शहबाज शरीफ से मिलने पहुंची थीं। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, इस बैठक में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ दक्षिण और पश्चिम एशिया की क्षेत्रीय स्थिति पर भी विस्तार से चर्चा की।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ का किया जिक्र, अपनी हार पर साधी चुप्पी

इस बातचीत के दौरान शहबाज शरीफ ने हालिया भारत-पाकिस्तान गतिरोध के दौरान तनाव कम करने में ब्रिटेन की भूमिका की सराहना की। हालांकि, उन्होंने इस बात का जिक्र करने से पूरी तरह परहेज किया कि भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई के सामने पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा था और संघर्ष विराम के लिए गुहार लगानी पड़ी थी।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के भीतर मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। इस ऑपरेशन के बाद दोनों देशों के बीच चार दिनों तक भीषण संघर्ष चला था। भारतीय सेना के करारे जवाब से परेशान होकर पाकिस्तान ने संघर्ष विराम की अपील की थी, जिसके बाद 10 मई को दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी थी।

अब उसी तनावपूर्ण माहौल के बाद, प्रधानमंत्री शरीफ ने एक बार फिर दोहराया है कि पाकिस्तान सभी लंबित मुद्दों के समाधान के लिए भारत के साथ सार्थक बातचीत के लिए तैयार है। यह पाकिस्तान की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत वह सैन्य मोर्चे पर कमजोर पड़ने के बाद कूटनीतिक और संवाद का रास्ता अपनाने का दिखावा करता है।

भारत का रुख स्पष्ट: आतंकवाद और बातचीत साथ नहीं

हालांकि, पाकिस्तान की इस पेशकश पर भारत का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है। भारत का मानना है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। नई दिल्ली लगातार यह कहती आई है कि किसी भी तरह की सार्थक बातचीत के लिए पाकिस्तान को पहले अपनी धरती से संचालित हो रहे भारत विरोधी आतंकी ढांचे को पूरी तरह से खत्म करना होगा और एक भरोसेमंद माहौल बनाना होगा। जब तक सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाता रहेगा, तब तक बातचीत की कोई भी पेशकश बेमानी है।

शहबाज शरीफ का यह बयान अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी शांतिप्रिय छवि बनाने की एक और कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। अब देखना यह होगा कि क्या पाकिस्तान सिर्फ बयानों से आगे बढ़कर आतंक के खिलाफ कोई ठोस और विश्वसनीय कार्रवाई करता है, जिस पर भारत के साथ किसी भी भविष्य की बातचीत की बुनियाद टिकी हुई है।

 

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