तेहरान। मध्य-पूर्व में तनाव एक बार फिर चरम पर है। हाल ही में अमेरिका और इजरायल द्वारा किए गए विनाशकारी हमलों के बावजूद ईरान ने दो टूक शब्दों में ऐलान किया है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को किसी भी कीमत पर नहीं रोकेगा। ईरान ने यह भी स्वीकार किया है कि इन हमलों से उसके परमाणु ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा है, लेकिन उसने झुकने से इनकार कर दिया है।
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने एक साहसिक बयान में कहा, “इजरायल और अमेरिका के हमलों से ईरान के परमाणु ठिकानों को नुकसान पहुंचा है, लेकिन हम परमाणु कार्यक्रम जारी रखेंगे।” यह बयान ईरान के उस दृढ़ संकल्प को दर्शाता है कि वह बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेगा और अपने परमाणु महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अमेरिका की सीधी चेतावनी
ईरान के इस ऐलान पर अमेरिका ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को सीधी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ईरान कोई भी नई परमाणु सुविधा बनाने का प्रयास करता है, तो उसे तुरंत नष्ट कर दिया जाएगा। ट्रंप ने यह भी दावा किया कि जून महीने में अमेरिकी हवाई हमलों ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों को पूरी तरह से तबाह कर दिया था और उन्हें दोबारा चालू करने में ईरान को कई साल लग जाएंगे।
कूटनीति का रास्ता भी खुला
एक ओर जहां सैन्य धमकियों का दौर जारी है, वहीं दूसरी ओर कूटनीति के दरवाजे भी खुले रखे जा रहे हैं। सैन्य संघर्ष के बाद ईरान ने इस सप्ताह यूरोपीय देशों के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम पर फिर से बातचीत करने की घोषणा की है। यह महत्वपूर्ण बैठक तुर्किये की मेजबानी में होगी, जिसमें ईरान के अधिकारी ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के प्रतिनिधियों से मिलेंगे। इस बैठक में यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कल्लास के भी शामिल होने की उम्मीद है।
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बघाई ने कहा कि बातचीत का एजेंडा बिल्कुल स्पष्ट है। उन्होंने कहा, “बातचीत का विषय प्रतिबंधों को हटाना और ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम से जुड़े मुद्दे हैं।”
हालिया संघर्ष की पृष्ठभूमि
यह तनाव उस वक्त बढ़ा जब अमेरिका और इजरायल ने दावा किया कि ईरान परमाणु बम बनाने के बहुत करीब पहुंच गया है। इजरायल को हमेशा यह डर रहा है कि ईरान अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल उसे नष्ट करने के लिए कर सकता है। इसी आशंका के चलते 13 जून को इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया था, जिसके बाद ईरान ने भी जोरदार जवाबी कार्रवाई की। इस संघर्ष में अमेरिका भी कूद पड़ा और उसने ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। यह सैन्य टकराव लगभग 12 दिनों तक चला, जिसने पूरे क्षेत्र को युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया था। अब ईरान के इस नए ऐलान ने स्थिति को और भी संवेदनशील बना दिया है।
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