Uttarakhand: जमीन घोटाले में हरक सिंह पर ED की चार्जशीट, बोले- ‘आरोप साबित हुए तो राजनीति छोड़ दूंगा’

देहरादून।

उत्तराखंड के सियासी गलियारों में एक बार फिर भूचाल आ गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देहरादून के सहसपुर स्थित शंकरपुर में हुए करोड़ों रुपये के जमीन फर्जीवाड़े के मामले में राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत, उनकी पत्नी दीप्ति रावत और रुद्रप्रयाग की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा समेत पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस बड़ी कार्रवाई के बाद हरक सिंह रावत ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है।

चार्जशीट दाखिल होने पर हरक सिंह रावत ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में इसे एक राजनीतिक साजिश करार दिया। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनके खिलाफ आरोप साबित हो जाते हैं, तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि वह ईडी के अधिकारियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराएंगे। रावत ने दावा किया कि उनके पास जमीन से संबंधित सभी वैध दस्तावेज मौजूद हैं और यह बात ईडी के अधिकारियों को भी पता है, लेकिन केवल राजनीतिक दबाव में यह चार्जशीट दाखिल की गई है।

यह है पूरा मामला

बता दें कि ईडी ने यह जांच सहसपुर थाने में दर्ज जमीन धोखाधड़ी के एक मुकदमे को आधार बनाकर शुरू की थी। जांच में सामने आया कि हरक सिंह रावत ने अपनी पत्नी दीप्ति रावत, अपनी करीबी सहयोगी लक्ष्मी सिंह राणा, बीरेंद्र सिंह कंडारी और सुशीला रानी (अब दिवंगत) के साथ मिलकर एक साजिश रची। इस साजिश के तहत करोड़ों रुपये की कीमती जमीन को कौड़ियों के भाव खरीदकर अपने नाम करा लिया गया।

आरोप है कि जमीन की मालकिन सुशीला रानी ने अपने हिस्से की जमीनों की पावर ऑफ अटॉर्नी हरक सिंह के करीबी बीरेंद्र सिंह कंडारी के नाम कर दी। इसी पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल करते हुए कंडारी ने यह जमीन हरक सिंह की पत्नी दीप्ति रावत और लक्ष्मी सिंह राणा को सर्किल रेट से भी काफी कम कीमत पर बेच दी। जिस जमीन को दीप्ति रावत ने खरीदा था, उसी पर अब ‘दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस’ का एक हिस्सा बना हुआ है, जिसका संचालन हरक सिंह रावत का परिवार और उनके मित्र करते हैं।

ईडी ने इस मामले में जनवरी 2025 में बड़ी कार्रवाई करते हुए लगभग 101 बीघा जमीन को अस्थायी रूप से कुर्क करने का आदेश जारी किया था। इस जमीन की कीमत दस्तावेजों में लगभग 6.56 करोड़ रुपये दिखाई गई थी, जबकि इसका मौजूदा बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपये से भी अधिक आंका गया है। ईडी द्वारा सभी आरोपियों से कई दौर की पूछताछ के बाद अब पांचों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई है, जिससे पूर्व मंत्री की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।

 

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