वाशिंगटन। आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, अमेरिका ने शुक्रवार को पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के प्रॉक्सी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को एक ‘विदेशी आतंकवादी संगठन’ (FTO) और ‘विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी’ (SDGT) घोषित कर दिया है। यह कार्रवाई भारत के लिए एक बड़ी राजनयिक जीत और पाकिस्तान के लिए एक करारा झटका मानी जा रही है, क्योंकि टीआरएफ जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है।
अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने बयान में कहा कि टीआरएफ, जिसे ‘कश्मीर रेजिस्टेंस’ के नाम से भी जाना जाता है, लश्कर-ए-तैयबा की ही एक शाखा है। लश्कर-ए-तैयबा वही आतंकी समूह है जिसने नवंबर 2008 के मुंबई हमलों सहित भारत और कई पश्चिमी देशों में अनगिनत आतंकी हमलों की साजिश रची और उन्हें अंजाम दिया। अमेरिका के इस फैसले के बाद अब टीआरएफ की संपत्तियों को फ्रीज करने और उसे किसी भी तरह की सहायता या संसाधन मुहैया कराने पर प्रतिबंध लग जाएगा।
यह निर्णय 22 अप्रैल को हुए पहलगाम नरसंहार के बाद आया है, जिसकी जिम्मेदारी टीआरएफ ने खुले तौर पर ली थी। इस भीषण आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। अमेरिकी सीनेटर रुबियो ने एक बयान में कहा कि यह घोषणा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के “पहलगाम हमले के लिए न्याय की मांग” के वादे को पूरा करती है। इस हमले के बाद परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुँच गया था। दिल्ली स्थित थिंक टैंक, साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार, टीआरएफ को लश्कर-ए-तैयबा का ही एक अंग माना जाता है, जिसे विशेष रूप से कश्मीर में हमलों को अंजाम देने और उनकी जिम्मेदारी लेने के लिए बनाया गया है।
अमेरिका के इस कदम का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वागत किया गया है। भारत में इजरायल के महावाणिज्य दूत कोब्बी शोशनी ने कहा कि सभी बड़े देशों को आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के उस बयान का समर्थन किया जिसमें उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनाने का आह्वान किया था। शोशनी ने कहा, “भारत और इजरायल कई सालों से आतंकवाद से पीड़ित हैं। यह पूरी दुनिया के हित में है कि हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों, अन्यथा यह जारी रहेगा।” उन्होंने गाजा में अभी भी बंधक बनाए गए 50 इजरायली नागरिकों की सुरक्षित वापसी की उम्मीद भी जताई।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाता रहा है। टीआरएफ पर प्रतिबंध लगाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि अमेरिका भारत की सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से लेता है और पाकिस्तान पर अपनी धरती से संचालित होने वाले आतंकी समूहों पर नकेल कसने का दबाव बढ़ा रहा है।
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